लखनऊ: यूपी में कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है. लाखों हेल्थ फ्रंट वर्करों की सुरक्षा खतरे में है. कारण प्राथमिकता के बावजूद कोरोना वैक्सीनेशन न करवाना बताया जा रहा है. वहीं, इन्हीं कर्मियों पर वायरस के नियंत्रण का दारोमदार भी है. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने कर्मियों से संपूर्ण डोज लेने को कहा है.
अवधि पूरी होने पर वैक्सीन न लगवाने से सरकार चिंतित
राज्य में जनवरी में कोरोना का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. सरकार ने पहले हेल्थ वर्करों के टीकाकरण का फैसला किया. इसके बाद फ्रंट वर्करों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा गया. वहीं, बाद में 60 वर्ष से ऊपर, 45 साल से अधिक बीमार लोगों का वैक्सीनेशन किया गया. अब 45 साल से ज्यादा सभी लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है. इसके लिए डॉक्टर से बीमारी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. वहीं सबसे ज्यादा चिंताजनक कोरोना योद्धाओं के वैक्सीनेशन की अधूरी डोज लेना है. ऐसे में कर्मियों के शरीर में वायरस से सुरक्षा के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं बन पाई हैं. यह हाल तब है जब इन्हीं वर्कर पर वायरस से निपटने का दारोमदार है. डोज की तय अवधि पूरी होने पर वैक्सीन न लगवाने से सरकार चिंतित है. लिहाजा अपर मुख्य सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने अधूरी डोज लेने वाले हेल्थ वर्कर-फ्रंट वर्कर से वैक्सीन लगवाने के लिए कहा, ताकि कर्मी वायरस से सुरक्षित हो सकें.
यूपी में वैक्सीनेशन का डोज
- 59, 84,537 लोगों को वैक्सीन की डोज लगी.
- 48,84,537 लोगों को अब तक पहली डोज लगी.
- 11 लाख लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगी.