उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

RTE के तहत कक्षा 8 पास कर चुके छात्रों को नहीं सूझ रही राह, अभिभावक भी परेशान - लखनऊ के निजी स्कूलों में पढ़ाई

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा आठ पास कर चुके छात्रों को अब आगे की पढ़ाई की राह नहीं सूझ रही है. बच्चों की पढ़ाई को लेकर अभिभावक भी परेशान हैं. सबसे बड़ी समस्या निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के बीच बच्चों का सामंजस्य बैठाने के साथ फीस का जुगाड़ करना है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Apr 1, 2023, 11:08 PM IST

RTE के तहत कक्षा 8 पास कर चुके छात्रों को नहीं सूझ रही राह, अभिभावक भी परेशान.

लखनऊ : शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है. वह विद्यार्थी जो बड़े प्राइवेट स्कूलों से कक्षा 1 से लेकर आठ तक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं. उनके सामने अब नौवीं की पढ़ाई उस स्तर की कैसे हो, इसके लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति हो गई है. क्योंकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के 25% सीटों पर गरीब आय वर्ग के परिवार के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. ऐसे में जब छात्र उन स्कूलों में नौवीं की पढ़ाई करना चाहते हैं तो अभिभावक फीस भरने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में यह छात्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें जो शिक्षा अब तक प्रदान की गई है उसी स्तर की शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की जाए.

वर्ष 2015 में प्रवेश लिया था कक्षा 1 में प्रवेश : शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत गरीब आय वर्ग के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाने वाली स्वयंसेवी संस्था की सदस्य शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि सिटी मांटेसरी स्कूल सहित कई बड़े प्राइवेट स्कूलों के 1000 से अधिक बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें वर्ष 2015 में इन विद्यालयों में प्रवेश दिलाया गया था. इन सभी विद्यार्थियों ने इन स्कूलों में कक्षा 1 से आठ तक की पढ़ाई शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत पूरी कर ली है. इन स्कूलों में पढ़कर निकले इन बच्चों की पढ़ाई का स्तर वहां के बच्चों के बराबर ही है. अब यह बच्चे अचानक से 9वीं क्लास में स्कूल छोड़कर दूसरे जगह प्रवेश लेने को मजबूर हैं. इनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि यह बच्चे प्राइवेट स्कूलों तुलना में उन्हें सरकारी स्कूल में इस तरह का माहौल नहीं मिल सकता है. ऐसे में यह बच्चे अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं.

शिप्रा श्रीवास्तव ने बताया कि नियमानुसार सरकार कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को आरटीई के तहत ही निशुल्क पढ़ाई कराती है, पर उसके बाद के पढ़ाई का सारा खर्च इन बच्चों के अभिभावकों को उठाना पड़ता है. अगर वह बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाते हैं तो वहां आगे की पढ़ाई निशुल्क हो सकती है, पर अगर वह अपने बच्चों को उसी प्राइवेट स्कूल में आगे पढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पूरा खर्च उठाना पड़ेगा जो उनकी आमदनी से बाहर है. हमारे संपर्क में सीएमएस के कुछ बच्चे हैं. जिनकी इस साल आठवीं तक की पढ़ाई आरटीई के तहत पूरी हो गई है. इन बच्चों के पढ़ाई का स्तर काफी अच्छा है. कुछ बच्चे तो धाराप्रवाह अंग्रेजी तक बोलते हैं.



अभिभावक अनीता का कहना है कि उनकी बिटिया सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) की इंदिरानगर ब्रांच कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई आरटीई के तहत की है. बिटिया अब फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती है, पर अब उन्हें अपनी बिटिया को दूसरे स्कूल में प्रवेश दिलाना पड़ रहा है. क्योंकि नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा निशुल्क नहीं है. बिटिया प्राइवेट स्कूल को छोड़कर सरकारी में नहीं पढ़ना चाह रही, लेकिन सीएमएस की फीस हमारे परिवार की मासिक आय से भी अधिक है. ऐसे में मजबूरी में बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाना पड़ेगा. अभिभावक ज्योति का कहना है कि बिटिया ने सीएमएस इंदिरानगर से आठवीं की पढ़ाई पूरी की है. वह स्कूल जाने की जिद कर रही है, पर स्कूल का मासिक खर्चा ₹9000 से अधिक है जबकि पूरे परिवार की आय ₹15000 है. ऐसे में अब मजबूरी में बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाना पड़ेगा.



जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पांडे का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो बच्चे आठवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी कर कर लेते हैं. ऐसे छात्रों को सरकारी विद्यालयों में कक्षा 9 में निशुल्क प्रवेश दिलाने की व्यवस्था है. यह सभी बच्चे अपने नजदीकी सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं. सरकार केवल आरटीई के तहत एक से 8 तक के बच्चों की स्कूल प्रतिपूर्ति करती है. इसके अलावा समाज कल्याण विभाग से दशमोत्तर छात्रवृत्ति की व्यवस्था है, जिसका फायदा ऐसे परिवार उठा सकते हैं.

यह भी पढ़ें : Lucknow Medical News : क्विज कंपटीशन में नेपाल के डेंटल स्टूडेंट्स ने मारी बाजी

ABOUT THE AUTHOR

...view details