लखनऊ : राजधानी लखनऊ में कूड़ा उठान से लेकर सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है. लखनऊ नगर निगम के अधिकारी राजधानी की सफाई व्यवस्था बेहतर करने में पूरी तरह से फेल साबित हो रहे हैं. इको ग्रीन कंपनी का टेंडर निरस्त करने के बाद अधिकारी अभी तक इस व्यवस्था को सुधारने में नाकाम साबित हुए हैं. करीब दो महीने पहले नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में महापौर की अध्यक्षता में यह फैसला हुआ था कि चीनी कंपनी इको ग्रीन का टेंडर निरस्त किया जाएगा और बाद में औपचारिक रूप से चीनी कंपनी का टेंडर निरस्त करके नई कंपनियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. करीब दो महीने से लगातार अधिकारी टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ाने के दावे कर रहे हैं ना तो कूड़ा निस्तारण के लिए कंपनी का अभी तक चयन हो पाया है और न ही जो कार्यकारी की बैठक में तय किया गया था कि राजधानी लखनऊ में सफाई व्यवस्था का काम जोनवार कंपनियों का चयन करके किया जाएगा. वह काम भी अभी नहीं हो पाया है, सिर्फ टेंडर प्रक्रिया ही पूरी करने के दावे अधिकारियों की तरफ से किया जा रहे हैं.
राजधानी लखनऊ की सफाई व्यवस्था बदहाली की बात करें तो पाॅश कॉलोनी से लेकर सामान्य कॉलोनी में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम अव्यवस्थित तरीके से चल रहा है. लोगों के घरों से कूड़ा उठाने वाले लोग ₹200 प्रति महीना पैसा भी वसूल रहे हैं, लेकिन सप्ताह में तीन दिन से अधिक कूड़ा उठाने नहीं पहुंचते हैं. झाड़ू लगाने के अलावा कूड़ा निस्तारण का काम पूरी तरीके से बेपटरी हो चुका है. जगह-जगह कूड़े के ढेर राजधानी लखनऊ में सफाई व्यवस्था की बदहाली का गुणगान कर रहे हैं. ऐसे में समझा जा सकता है की राजधानी लखनऊ के अधिकारी किस प्रकार से लापरवाह बने हुए हैं और यह पूरा काम बदहाली के साथ आगे बढ़ रहा है. नगर निगम ने जिस प्रकार की अपनी कार्ययोजना बनाई है. उसके अनुसार जोनवार एजेंसी को कूड़ा कलेक्शन का काम दिया जाएगा. इसके अंतर्गत सभी जोन में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन, सड़क एवं गलियों की सफाई व नाला सफाई का कार्य, एमआरएफ व ट्रांसफर स्टेशन के संचालन एवं रख-रखाव के कार्य के लिए जोनवार अलग-अलग कम्पनी को काम देने के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी, जिससे जोनवार सफाई व्यवस्था बेहतर करने का काम कराया जा सकेगा.