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जमीन के विवाद को निपटाने के लिए राजस्व विभाग ने शुरू की पहल

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Published : Dec 5, 2020, 9:39 AM IST

राजस्व परिषद के चेयरमैन दीपक त्रिवेदी ने बताया है कि सरकार की इस नीति से किसानों को बड़ी सुविधा होगी. अक्सर गांवों में पाया जाता है कि पारिवारिक व साझे की खेती की जमीनों के बंटवारे में आपसी विवाद होते हैं और नौबत यहां तक आ जाती है कि लोग बंटवारे का मुकदमा दायर कर देते हैं. बंटवारे के मुकदमे के कारण जमीन खाली पड़ी रहती है. कोई भी पक्ष उसमें फसल नहीं बो पाता है. ऐसे मुकदमे यदि लम्बा चले तो दोनों पक्षों को आर्थिक हानि होती है.

उत्तर प्रदश में खतौनी पुनरीक्षण
राजस्व विभाग उत्तर प्रदेश

लखनऊः जामीन के विवाद के बढ़ रहे मामलों के निपटारे के लिए प्रशासन अब खतौनी पुनरीक्षण का काम शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि इसके बाद राजस्व के बढ़ रहे मुकदमों में कमी आएगी . उप्र राजस्व संहिता 2006 की धारा-31 (2) और उप्र राजस्व संहिता नियमावली 2016 के नियम-28 के अंतर्गत राजस्व परिषद की तरफ से कराए जा रहे राजस्व गांवों में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण से ऐसे मामलों से राहत मिलेगी. राजस्व परिषद की तरफ से प्रदेश के कुल 1,10,333 राजस्व ग्रामों की खतौनियों में दर्ज खातेदारों/सह खातेदारों के गाटों में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण का काम कराया जा रहा है.


जमीन बंटवारे में दायर होते हैं मुकदमे
राजस्व परिषद के चेयरमैन दीपक त्रिवेदी ने बताया है कि सरकार की इस नीति से किसानों को बड़ी सुविधा होगी. अक्सर गांवों में पाया जाता है कि पारिवारिक व साझे की खेती की जमीनों के बंटवारे में आपसी विवाद होते हैं और नौबत यहां तक आ जाती है कि लोग बंटवारे का मुकदमा दायर कर देते हैं. बंटवारे के मुकदमे के कारण जमीन खाली पड़ी रहती है कोई भी पक्ष उसमें फसल नहीं बो पाता है. ऐसे मुकदमे यदि लम्बा चले तो दोनों पक्षों को आर्थिक हानि होती है. ऐसी स्थिति में पारिवारिक व साझेदार से रिश्ते भी खराब होते हैं और आपसी वैमनस्यता बढ़ती है.


खातेदार का अंश निर्धारण पुनरीक्षण अभियान से होता है
राजस्व परिषद की तरफ से बताया गया है कि खतौनी में दर्ज खातेदारों व सह खातेदारों के अंश का निर्धारण इस पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण कार्यक्रम के अन्तर्गत किया जाता है. इससे किस खातेदार की कौन सी जमीन किस दिशा व किस सीमा में है और उसके अंश की कितनी जमीन है, ऐसा निर्धारण कर बंटवारे के विवादों को खत्म कर दिया जाता है. जब खातेदार का अंश निर्धारण हो जाता है तो वह बंटवारे का कोई मुकदमा दर्ज नहीं करता. इससे वादों में कमी आ रही है. कभी-कभी खातेदार अपने हिस्से की जमीन के बहाने पूरी जमीन बेंच देते है। किन्तु अब अंश निर्धारण हो जाने पर वह अपने हिस्से से अधिक भूमि का विक्रय नहीं कर सकेगा.


इतने राजस्व गांवों में हुआ अंश निर्धारण
प्रदेश में अंश निर्धारण कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक फसली वर्ष में प्रदेश के कुल राजस्व ग्रामों का 1/6 भाग अर्थात लगभग 18 हजार राजस्व ग्रामों की खतौनियों के पुनरीक्षण एवं उनमें दर्ज खातेदारों व सह खातेदारों के खातावार एवं गाटावार अंश निर्धारण की कार्यवाही की जा रही है. प्रदेश में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2017 से अब तक कुल 50,034 राजस्व ग्रामों की खतौनियों में खातेदारों व सहखातेदारों के गाटों में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है.


इतने राजस्व गांव में काम बाकी
राजस्व विभाग द्वारा किये जा रहे इस कार्य में प्रदेश में अवशेष 52,297 राजस्व ग्रामों की खतौनियों के पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण कार्यक्रम को मार्च 2023 तक पूरे कर लिये जायेंगे. प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 में फसली वर्ष 1428 के अन्तर्गत प्रदेश के 17964 राजस्व ग्रामों में खतौनियों में दर्ज खातेदारों व सहखातेदारों के गाटों में खतौनी पुनरीक्षण एवं अंश निर्धारण का कार्य किया जा रहा है.

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