लखनऊ. यूपी सरकार ने कोरोना का हवाला देते हुए एक जनवरी 2020 को जेल के दरवाजे मुलाकात के लिए बंद कर दिए थे लेकिन जब हर सेक्टर से बंदिशें खत्म हो चुकीं हैं. ऐसे में जेल में मुलाकात का दौर न शुरू होने से लोगों में नाराजगी और मायूसी है. जेलों में निरुद्ध बंदियों से की एक झलक पाने को मजबूर उनके परिजन जेलों के बाहर कड़ी धूप में इंतजार करते है. मुलाकात दोबारा शुरू करने के लिए जेल विभाग प्रशासन को पत्र लिख चुका है.
जेल प्रशासन ने करीब 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को पत्र लिखा था कि राज्य की 73 जेलों में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की परिजनों से मुलाकात शुरू की जाए. जेल प्रशासन का कहना है कि बंदी परेशान हो रहे हैं. उनकी मानसिक स्थिति को मजबूत रखने के लिए परिजनों से मुलाकात होना आवश्यक है.
जेल महानिदेशक आनंद कुमार ने ईटीवी भारतको बताया कि उन्होंने जेल में बंदियों व परिजनों से मुलाकात को लेकर 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था. अभी 5 दिन पहले दोबारा गृह विभाग को रिमाइंडर भेज दिया गया है. उम्मीद थी कि होली से पहले मुलाकात शुरू हो जाएगी लेकिन शायद प्रशासन होली के बाद ही मुलाकात शुरू करने की इजाजत दे.
दरअसल, उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने एक जनवरी 2022 को बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों व बंदियों की सुरक्षा को देखते हुए जेल में होने वाली मुलाकात पर तत्काल रोक लगाई थी. आदेश को जारी हुए 71 दिन हो चुके हैं और कोरोना के मामलों में भी कमी आ चुकी है. हालांकि जेल में टेलीफोन से उनके परिजनों से बात करने की सुविधा दी जा रही है.
क्या कहता है गृह विभाग विभाग
प्रदेश की 73 जेल में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की उनके परिजनों से मुलाकात पिछले 71 दिनों से बंद है. बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात होने से उन्हें अवसाद, मानसिक बीमारी व तनाव से बचाया जाता है. जेल में कैदी झगड़ा ना करें व तनावमुक्त रहें. इसे लेकर जेल के अधिकारी हमेशा चिंतित रहते हैं.