लखनऊ: सूबे में लोग गर्मी से त्राहिमाम कर रहे हैं. आलम यह है कि इस बार अप्रैल में ही मई-जून सी गर्मी पड़ रही है. शहर से लेकर गांवों तक भीषण गर्मी और उमस से लोग उबल रहे हैं. वहीं, खेतों में गेहूं की फसल पकी खड़ी है और हर साल की तरह ही इस साल भी फसलों में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. इसी के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीण क्षेत्रों में 15 मिनट व शहर में 7 मिनट का रिस्पांस टाइम सुनिश्चित किए जाने का निर्देश दिया था. हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भले ही मंशा आग से नुकसान को कम करने की हो, लेकिन फिलहाल इस समस्या से निपटने को निर्धारित समयावधि में निराकरण की संभावना कम दिख रही है.
स्टाफ की कमी: उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में आग की घटनाओं ने आम लोगों के साथ ही अधिकारियों की भी परेशानी बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिस्पांस टाइम नियत कर किसानों की फसल को जलने से बचाने को बड़ा कदम उठाया है, लेकिन मौजूदा हालात में फायर विभाग फायर टेंडर व फायर स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. वहीं, 2018 में 2065 फायर मैन की भर्ती हुई थी, लेकिन उनकी ट्रेनिंग होने में अभी 4 महीने शेष हैं. राज्य के अधिकांश फायर स्टेशन में मुख्य अग्निशमन अधिकारी व सेकंड अग्निशमन अधिकारी ही तैनात नहीं हैं. यही नहीं वाहन चालक की कमी है. हालांकि, प्रदेश में फायर स्टेशन की संख्या जरूर बढ़ाई गई है. जिसे 286 से बढ़ाकर 350 कर दिया गया है. लेकिन 69 अभी भी ऐसी तहसील मुख्यालय है, जहां अभी तक फायर स्टेशन नहीं बन सके हैं.
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