लखनऊ:किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और इससे संबद्ध मेडिकल कॉलेजेस में कार्यरत नॉन क्लीनिकल रेजिडेंट डॉक्टरों की नौकरियां अधर में लटकी हैं. दरअसल 27 अगस्त को केजीएमयू में हुई एक मीटिंग के बाद कुलपति ने कहा कि मेडिकल कॉलेजेस के कुछ विभाग के लिए सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के सेवा में 1 वर्ष का विस्तार किया जा रहा है. वहीं रेजिडेंट एसोसिएशन का आरोप है कि यह नॉन क्लीनिकल डॉक्टरों के साथ अन्याय है और उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. पिछले 6 महीने से कोविड-19 के संक्रमण काल में रेजिडेंट डॉक्टर लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे में सभी को एक समान विस्तार दिया जाना चाहिए. इस पूरे मामले पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की रेजिडेंट डॉक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने कुलपति को पत्र लिखकर समस्या का निराकरण करने की बात कही है.
कोविड-19 को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने 11 अगस्त को दो आदेश जारी किए थे. पहले आदेश में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को 1 साल का सेवा विस्तार देने को कहा गया था और दूसरे आदेश में तृतीय वर्ष के पीजी उत्तीर्ण करने वाले सभी जूनियर डॉक्टरों को भी बरकरार रखे जाने की बात कही गई थी. रेजीडेंट डॉक्टर वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि आदेश केजीएमयू और विभिन्न मेडिकल कॉलेज के लिए जारी किया गया था. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और उससे संबद्ध मेडिकल कॉलेजेस में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर्स का आरोप है कि इसके बावजूद कोविड-19 के तहत शासन के आदेशों के बावजूद रेजिडेंट डॉक्टरों को मनमाने तरीके से निकाला जा रहा है.