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BBAU में शोधार्थी ने पीएचडी सुपरवाइजर पर लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप - विवादों में BBAU

बाबा साहब भीमराव केंद्रीय विश्वविद्यालय(BBAU) में आदिवासी शोधार्थी ने अपने सुपरवाइजर पर उत्पीड़न करने के आरोप लगाए. समाजशास्त्र विभाग के इस वरिष्ठ प्रोफेसर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए यह शोधार्थी बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में बनी अंबेडकर प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गया.वहीं रिसर्च गाइड की मानें तो यह शोधार्थी सात आठ महीने तक गायब रहा. जिसके चलते विभागीय स्तर पर कार्यवाही शुरू की गई. इससे नाराज होकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.

शोधार्थी ने पीएचडी सुपरवाइजर पर लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप
शोधार्थी ने पीएचडी सुपरवाइजर पर लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप

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Published : Aug 25, 2021, 8:22 PM IST

लखनऊ: बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU) एक बार फिर विवादों में आ गया है. यहां के एक आदिवासी शोधार्थी ने अपने सुपरवाइजर पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. समाजशास्त्र विभाग के इस वरिष्ठ प्रोफेसर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए यह शोधार्थी बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में बनी आंबेडकर प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गया. बता दें कि गुरुवार को विश्वविद्यालय का नौवां दीक्षांत समारोह है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस प्रशासन की तरफ से धरने पर बैठे शोधार्थी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया. उधर, रिसर्च गाइड की मानें तो यह शोधार्थी सात आठ महीने तक गायब रहा. जिसके चलते विभागीय स्तर पर कार्यवाही शुरू की गई. इससे नाराज होकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.

मामला बीबीएयू के समाजशास्त्र विभाग का है. यहां एक शोधार्थी मनीष कुमार, वरिष्ठ शिक्षक प्रो. वीरेंद्र नारायण दुबे की देख रेख में पीएचडी कर रहा है. मनीष बुधवार को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गया. उसका आरोप है कि प्रोफेसर वीरेंद्र नारायण दुबे पिछले 4 सालों से उसका उत्पीड़न कर रहे हैं. लगातार उसकी PhD कैंसल करने की धमकी दे रहे हैं. शोधार्थी ने इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई. न्याय न मिलने की स्थिति में आत्महत्या तक करने की चेतावनी दी है. इसके लिए पूरी तरह से प्रोफेसर वीरेंद्र नारायण दुबे को जिम्मेदार भी ठहराया है. विश्वविद्यालय में गुरुवार को दीक्षांत समारोह प्रस्तावित है. इसके मद्देनजर धरने पर बैठे शोधार्थी को पुलिस ने तत्काल हिरासत में ले लिया.

पीएचडी सुपरवाइजर पर लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप
यह है प्रोफेसर दुबे का पक्ष
प्रोफेसर दुबे का कहना है कि शोधार्थी द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. शोधार्थी ने 7 सेमेस्टर सेमेस्टर तक काम किया है. उसका काम भी अच्छा रहा, लेकिन 2019 में फील्ड वर्क के नाम पर बिना किसी सूचना के यह गायब हो गए. बार-बार प्रयासों की भी उनसे संपर्क ना हो पाने के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई. डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी की तरफ से अन्य प्रशासनिक मंचो पर प्रकरण को रखा गया है. इसके सामने आने के बाद यह आरोप लगाए जा रहे हैं. यह आरोप पूरी तरह से निराधार है.

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