उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

डॉ राधा कमल मुखर्जी की प्रासंगिकता पर शिकागो यूनिवर्सिटी में शोध, समाजशास्त्र विभाग के थे संस्थापक - लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति

यूपी में समाजशास्त्र के प्रणेता रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख रहे डॉ. राधाकमल मुखर्जी (Dr Radha Kamal Mukherjee) की प्रासंगिकता पर यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में शोध चल रहा है. डॉ. मुखर्जी के क्षेत्रीय समाजशास्त्र एवं सामाजिक परिस्थिति पर शोध कर रहे शिकागो के शोध छात्र जोशुआ सिल्वर को समाजशास्त्र विभाग ने व्याख्यान के लिए अपने यहां आमंत्रित किया है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Dec 17, 2022, 7:48 AM IST

लखनऊ :यूपी में समाजशास्त्र के प्रणेता रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख रहे डॉ. राधाकमल मुखर्जी (Dr Radha Kamal Mukherjee) की प्रासंगिकता पर यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में शोध चल रहा है. डॉ. मुखर्जी के क्षेत्रीय समाजशास्त्र एवं सामाजिक परिस्थिति पर शोध कर रहे शिकागो के शोध छात्र जोशुआ सिल्वर को समाजशास्त्र विभाग ने व्याख्यान के लिए अपने यहां आमंत्रित किया है. 24 दिसंबर को जोशुआ सिल्वर डॉ मुखर्जी पर अपना व्याख्यान देंगे.

समाजशास्त्र विभाग के विभाग प्रमुख प्रो. डीआर साहू का कहना है कि विभाग की स्थापना 1922 में हुई थी. स्थापना के समय समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, एन्थ्रोपोलाॅजी और समाज कार्य विभाग एक ही में था. कालान्तर में समाजशास्त्र विभाग से सभी शाखाएं निकली और विभाग के रूप में स्थापित हुईं. वर्ष 2022 में विभाग को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं. ऐसे में शताब्दी वर्ष को देखते हुए कई एकेडमिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लेक्चर सीरिज एक होगा. उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर को जोशुआ सिल्वर के व्याख्यान के साथ ही शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे.

डॉ. राधाकमल मुखर्जी की प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर में हुई थी. बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाली प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ने के लिए एकेडमिक स्कॉलरशिप प्राप्त हुई. डॉ. राधाकमल ने अंग्रेजी और इतिहास में स्नातक ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद यहीं से उन्होंने पीएचडी की उपाधि हासिल की. डॉ मुखर्जी ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत लाहौर के एक कॉलेज में अध्यापन कार्य से की थी. इसके बाद वह कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य करने लगे. वर्ष 1921 में डॉ मुखर्जी समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष पद पर लखनऊ विश्वविद्यालय में आ गए. उनके नेतृत्व में ही लखनऊ विश्वविद्यालय में सबसे वर्ष 1921 में समाजशास्त्र का अध्ययन प्रारम्भ हुआ था. इस कारण से वह उत्तर प्रदेश के समाजशास्त्र के प्रणेता के रूप में भी प्रसिद्ध थे. वर्ष 1952 में उन्होंने अपने पद से सेवानिवृति ली. इसके बाद वह वर्ष 1955 से 1957 तक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे.

यह भी पढ़ें : महज एक दिन की रेडियोथैरेपी से कंट्रोल होगा प्रोस्टेट कैंसर, न्यूयार्क के डॉक्टर ने साझा की जानकारी

ABOUT THE AUTHOR

...view details