लखनऊः केजीएमयू के शनिवार को रेस्पेरटरी मेडिसिन विभाग में टीबी एंड चेस्ट पर कार्यशाला हुई. इस दौरान टीबी का वर्तमान इलाज और शोध पर मंथन हुआ. विशेषज्ञों ने कहा कि एमडीआरटीबी की दस दवाओं पर शोध चल रहा है.
पद्मश्री डॉक्टर दिगम्बर बेहरा ने कहा कि टीबी के अधूरे इलाज से एमडीआर और एक्सडीआर होता है. ऐसे में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. टीबी का इलाज कुछ दिन करने के बाद मरीजों की सेहत में सुधार शुरू हो जाता है. ऐसे में मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं. उन्होंने बताया कि एमडीआर टीबी से मरीजों को निजात दिलाने के लिए केजीएमयू समेत देश के दूसरे संस्थानों में 10 नई दवाओं पर शोध चल रहा है. इन दवाओं के आने से एमडीआर टीबी का इलाज और आसान हो जायेगा.
एमडीआर, प्री एक्सडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज 11 से 19 महीने तक चलता था. जिसे घटाकर छह महीने तक करने की कोशिश की जा रही है. राष्ट्रीय टीबी टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉक्टर अशोक कुमार भारद्वाज ने कहा कि पहले एमडीआर और एक्सडीआर मरीजों का इलाज इंजेक्शन से किया जाता था. करीब दो साल इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती थी. नतीजतन बहुत से मरीज बीच में इलाज छोड़ देते थे. अब भारत सरकार ने इंजेक्शन को बंद कर दिया है. अब सिर्फ गोलियां ही दी जा रही हैं.