लखनऊ : पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश के आधारभूत ढांचे को लेकर जहां काफी काम हुए हैं. वहीं पर्यटन के विकास में भी युद्धस्तर पर काम किए गए हैं. चाहे धार्मिक पर्यटन हो अथवा एतिहासिक या वन और जल पर्यटन की संभावनाएं. सरकार ने इन सभी क्षेत्रों में विकास को लेकर कई कदम उठाए हैं. पर्यटन विकास के लिए सरकार ने बाकायदा पूरे प्रदेश को समग्र लाभ पहुंचाने के लिए न सिर्फ अलग-अलग सर्किट बनाए हैं, बल्कि जरूरी बजटीय प्रावधान भी किए गए हैं. अयोध्या, काशी, मथुरा, विंध्याचल और नैमिषारण्य जैसे तमाम तीर्थों स्थानों पर अभूतपू्र्व सुविधाएं मुहैय्या कराई गई हैं और इनमें से कई के विकास के लिए बोर्ड भी गठित किए गए हैं. स्वाभाविक है कि इससे पर्यटन का बड़ा लाभ होगा.
सरकार धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है. इसी कड़ी में वर्ष 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए सरकार ने ढाई सौ करोड़ की व्यवस्था की है. यह राशि बताती है कि सरकार ऐसे आयोजनों को किस स्तर पर ले जाना चाहती है. इस वर्ष सरकार ने उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति के तहत सरकार ने एक लाख 29 हजार 498 करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है. साथ ही सरकार को अनुमान है कि इससे प्रदेश में 3 लाख 52 हजार 800 लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. यह आंकड़ा बताता है कि सरकार पर्यटन विकास को किस स्तर पर ले जाना चाहती है. सरकार ने पिछले दिनों हरिद्वार में सौ कक्षों के आधुनिक सुविधायुक्त भव्य भागीरथी अतिथि गृह का निर्माण कर पर्यटकों को तोहफा दिया था.
सरकार की पर्यटन विकास की यह नीति आधारभूत ढांचे के विकास तक ही सीमित नहीं है. सरकार वाराणसी और मगहर में कबीर फेस्टिवल जैसे आयोजन कर लोगों को अपनी समृद्ध विरासत से जोड़ना चाहती है. पिछले दिनों ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण के अंतर्गत 10 ग्रंथों का प्रकाशन किया गया, तो वहीं मगहर में संत कबीर अकादमी के विभिन्न भवनों का लोकार्पण कर विकास कार्यों को गति देने का भी काम किया गया है. यदि बुंदेलखंड की बात करें तो महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर झांसी में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर सरकार ने अपनी ऐतिहासिक विरासतों को सहेजने का संकल्प दोहराया है. बुंदेलखंड में बिखरी तमाम धरोहरों के साथ ही ऐतिहासिक किलों, मंदिरों और अन्य धरोहरों को सहेजन और उन तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने के लिए भी सरकार बड़े स्तर पर काम कर रही है. गोरखपुर के रामगढ़ ताल में जल पर्यटन की उच्चस्तरीय सुवाधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, तो वहीं दुधवा नेशनल पार्क सहित अन्य वन्यजीव अभ्यार्णयों में भी अच्छे प्रबंध किए गए हैं.