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धर्मगुरु बोले- एनसीईआरटी की किताबों में सभी धर्मों का इतिहास और उनका कल्चर होना चाहिए - एनसीईआरटी पाठ्यक्रम बदवाल धर्म गुरु

एनसीईआरटी पैनल की ओर से रामायण और महाभारत (Ramayana Mahabharata NCERT Syllabus) के पाठ को बच्चों को पढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. लखनऊ के धर्म गुरुओं ने इस पर अपनी बात रखी.

पाठ्यक्रमों को लेकर धर्मगुरुओं ने रखी अपनी बात.
पाठ्यक्रमों को लेकर धर्मगुरुओं ने रखी अपनी बात.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 9:28 PM IST

पाठ्यक्रमों को लेकर धर्मगुरुओं ने रखी अपनी बात.

लखनऊ :राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी की तरफ से पिछले कुछ महीनों में स्कूली किताबों में बड़े बदलाव किए गए हैं. एनसीईआरटी पैनल ने भारत के महाकाव्य रामायण और महाभारत को स्कूलों में पढ़ाए जाने के लिए सिफारिश की है. इस मामले में अन्य धर्मों के धर्मगुरुओं ने अपने सुझाव दिए हैं.

नई पीढ़ी को सभी धर्मों के बारे में जानना चाहिए :कैथेड्रल चर्च के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने कहा कि हमारे देश में कई धर्म के मानने वाले हैं, ये हमारी साझा संस्कृति को दर्शाता है, आने वाली नस्लों को सभी धर्मों और उनके कल्चर को जानना चाहिए. इससे उन्हें अनेकता में एकता का संदेश समझ में आएगा और वो सभी धर्मों को प्यार और स्नेह के नजर से देखेंगे. मुल्क में प्रेम भाव हमेशा रहे इसी उद्देश के साथ हम कार्य करते हैं.

बच्चों को सभी धर्मों का इतिहास बताया जाए :इस्लामिक सेंटर के चेयरमैन मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि इस्लाम में सभी धर्मों को सम्मान देने की बात कही गई है. हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. एनसीईआरटी की किताबों में सभी धर्मों की किताबों और उनके इतिहास के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए और उसके बाद बच्चों को ये अधिकार होना चाहिए कि वो क्या पढ़ना चाह रहे हैं. इससे उन्हें हर धर्मों के इतिहास के बारे में जानकारी मिल सकेगी. एकता भाईचारे को और बेहतर तरीके से समझ सकेंगे. हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग इस बात से सहमत भी होंगे.

भाईचारे के लिए सभी धर्मों के बारे में जानना जरूरी :मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने कहा कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, मिलजुल कर रहते है. आपसी भाई चारे और बेहतर बनाने के लिए बच्चों को सभी धर्मों के बारे में जानना जरूरी है. अब तक किताबों में इतिहास को तीन भागों में पढ़ाया जाता था. इसमें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत सेक्शन शामिल हैं. पैनल की सिफारिश पर इतिहास को चार भागों- प्राचीन काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत में बांटने की बात कही जा रही है. नई एजुकेशन पॉलिसी के आधार पर एनसीईआरटी के सिलेबस में बदलाव की बात कही जा रही है. इसमें यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि एनसीईआरटी में केवल एक या दो के बजाय भारत मे शासन करने वाले सभी राजवंशों को शामिल किया जाए. इसी कड़ी में रामायण और महाभारत से जुड़े चैप्टर्स शामिल किए जाने चाहिए. कक्षा 7वीं से लेकर 12वीं तक के सिलेबस में बदलाव की मांग की जा रही है.

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