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सेहतमंद भोजन, योग और व्यायाम के साथ नियमित दिनचर्या कम कर सकती है कोविड का प्रभाव - effect of diseases

कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद कार्डियक अरेस्ट और हृदयाघात की घटनाएं बिचलित करने वाली हैं. इसके पीछे की वजह हमारा खान पान और दिनचर्या है. आधुनिकता के दौर में हमने अपने पौष्टिक आहार से किनारा करके फास्ट फूड को अपना लिया है. निश्चित ही हमारा आहार विहार असमय मृत्यु और गंभीर बीमारियों को कारण बन रहा है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

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Published : Dec 8, 2022, 10:17 AM IST

लखनऊ : देशभर से लगातार छिटपुट खबरें मिल रही हैं, जिनमें कई युवा असमय मौत के शिकार हो रहे हैं. अकस्मात हो रही इन मौतों ने चिकित्सा विशेषज्ञ को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को हैरानी और चिंता में डाल दिया है. ज्यादातर घटनाएं कार्डियक अरेस्ट और हृदयाघात के कारण हुई हैं. चिकित्सक स्पष्ट रूप से तो कुछ भी नहीं कह पा रहे, लेकिन इसे कोविड-19 बाद के दुष्परिणाम मान रहे हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना वायरस देश के लाखों लोगों की जानें ही नहीं लीं, बल्कि इस वायरस से उबर कर निकले तमाम लोगों को कमजोर भी बना दिया है. इसलिए अब जरूरी हो गया है कि हम अच्छे और सेहतमंद खानपान, अच्छी दिनचर्या और व्यायाम से खुद को फिट और निरोग बनाएं.

इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना वायरस (corona virus) की चपेट में आने के बाद स्वस्थ हुए तमाम लोगों में कई तरह की शारीरिक परेशानियां सामने आ रही हैं. कार्डियक अरेस्ट और हार्ड अटैक (cardiac arrest and heart attack) का खतरा अपनी जगह है, इसके अलावा भी तमाम तरह की व्याधियों ने लोगों को घेर रखा है. स्वाभाविक है कि इस साइड इफेक्ट से लड़ने के लिए अब हमें अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना होगा. इसके लिए जरूरी है कि अपना खान-पान सुधारें और नियमित व्यायाम जरूर करें. हमारा दुर्भाग्य ही है कि हमारी थाली के भोजन में अधिकांश सामग्री रासायनिक खादों द्वारा उपजाई जा रही है. विभिन्न अनाज और सब्जियों (grains and vegetables) के माध्यम से यह रासायनिक उर्वरक हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं, जो बेहद हानिकारक हैं. इसलिए जरूरत है रासायनिक खादों से मुक्ति पाकर परंपरागत गोबर की खाद का उपयोग बढ़ाने की. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है. बावजूद इसके किसानों में जागरूकता बहुत कम है. आम आदमी की मजबूरी ही है कि बाजार में उपलब्ध सामग्री ही उसे खरीदने होती है. ऐसे में जब तक जनचेतना नहीं जागेगी तब तक लोगों की सेहत से खिलवाड़ होता रहेगा. इसका विकल्प है कि हम अपने भोजन में मोटे अनाजों को बढ़ाएं.

व्यायाम से खुद को रखें सेहतमंद.

मोटे अनाजों (coarse grains) में जौ, ज्वार, बाजरा और कोदो आदि जैसे अनाज हैं, जो ना सिर्फ हमारे दिल को सेहतमंद बनाते हैं, बल्कि पूरे शरीर के लिए बहुत लाभकारी और सुपाच्य होते हैं. सरकार ने मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई हैं. स्वाभाविक है कि जब मांग बढ़ेगी, तो उत्पादन भी बढ़ेगा. इन अनाजों को पैदा करने में न अधिक खाद का उपयोग होता है और न ही इन्हें ज्यादा पानी चाहिए होता है. किसानों के लिए यह कम खर्च में ज्यादा कमाई वाली फसलें हैं. लोगों में जागरूकता आने के कारण अनाजों की मांग में इजाफा हुआ है. यदि हर परिवार इन अनाजों का उपयोग बढ़ा दे, तो निश्चित रूप से लोगों की सेहत में भी सुधार होगा. शहरी जीवन में जंक फूड का चलन भी बहुत बढ़ चुका है. इस पर भी नियंत्रण जरूरी है. जंक फूड में उपयोग किए जाने वाले तेल और मसाले सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं. जो लोग स्वास्थ्य के लिए सजग हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से जंक फूड से मुक्ति पा लेनी चाहिए. नई पीढ़ी खासतौर से जंक फूड का उपयोग ज्यादा करती है. युवाओं को भी समझना होगा कि सेहत ही नेमत होती है.

पोषण से भरपूर मोटे अनाज.

अच्छे खान-पान (good food) के बाद यदि दिनचर्या पर ध्यान दिया जाए और व्यायाम को आदत में शुमार किया जाए तो निश्चय ही हम खुद को फिट और निरोग बना सकते हैं. इसलिए अपनी दिनचर्या पर सभी को विशेष ध्यान देना चाहिए. यह नहीं कि जब भी जो मिला खा लिया, जब तक मन हुआ सोए. रात का भोजन सोने के दो घंटे पहले ही कर लेना बेहतर होता है. इसके बाद यदि टहलने की आदत डालें तो निश्चित रूप से शरीर हल्का होगा और नींद अच्छी आएगी. अपनी दिनचर्या में योग अथवा व्यायाम को भी जरूर शामिल करना चाहिए. योग से मन शांत होता है और शरीर भी स्वस्थ रहता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि अच्छे खान-पान, नियमित दिनचर्या योग व व्यायाम के माध्यम से हम अपना जीवन बेहतर बना सकते हैं.

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