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Record: KGMU में हुई 18 लाख RT-PCR जांच - लखनऊ की न्यूज़

केजीएमयू ने कोरोना की जांच में रिकॉर्ड बनाया है. यहां अब तक करीब 18 लाख आरटी-पीसीआर जांच हो चुकी है. ठीक होने के बाद 5 हजार कोरोना मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है.

KGMU में 18 लाख RT-PCR जांच
KGMU में 18 लाख RT-PCR जांच

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Published : May 30, 2021, 7:53 AM IST

लखनऊः केजीएमयू में अबतक करीब 18 लाख आरटी-पीसीआर जांच हो चुकी है. ठीक होने के बाद 5 हजार कोरोना मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है. प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह के मुताबिक केजीएमयू में 40 हजार लोगों को कोरोना से बचाव की वैक्सीन लगाई जा चुकी है. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में कोरोना मरीजों के लिए बेड बढ़ाए जा रहे हैं. इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा 988 बेड वाला कोरोना हॉस्पिटल संचालित हो रहा है. 2 सौ से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हो चुके हैं. सामान्य मरीजों के लिए ट्रामा, इमरजेंसी सर्जरी, प्रसूति सुविधाएं, कार्डियोलॉजी, डायलिसिस, नवजात शिशु और कैंसर के इलाज की सुविधा मरीजों को मुहैया कराई जा रही है.

दूसरी बीमारी के मरीज लें अस्पताल

केजीएमयू डॉक्टरों का कहना है कि यहां कोरोना मरीज काफी भर्ती हैं. ऐसे में दूसरी बीमारियों के लिए आरक्षित अस्पताल सामान्य मरीजों को लें. इससे केजीएमयू में सामान्य मरीजों का दबाव कम होगा. केजीएमयू में कोरोना के गंभीर मरीजों को इलाज मुहैया कराने में आसानी होगी. कोविड और नॉन कोविड मरीजों को एक साथ इलाज मुहैया कराने में अड़चन आ रही है. नॉन कोविड मरीजों में भी संक्रमण का खतरा अधिक है.

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KGMU में मनाया गया मेंस्ट्रूअल हाइजीन डे

केजीएमयू के पैरामेडिकल विज्ञान संकाय ने शनिवार को मेंस्ट्रूअल हाईजीन डे कार्यक्रम आयोजित किया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पैरामेडिकल विज्ञान संकाय के डीन एवं सर्जरी विभाग के प्रोफेसर विनोद जैन ने कहा कि मासिक धर्म के बारे में बात करने में हमें कोई संकोच नहीं करना चाहिए. जिन महिलाओं में मासिक धर्म में अनियमितता हो जाती है, उन्हें तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं. उन्होंने ये भी बताया कि हमें ग्रामीण क्षेत्र में इसके बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है.

मेंस्ट्रूअल हाइजीन के बारे में समझें

उन्होंने कहा कि भारत में 50 फीसदी महिलाओं को मेंस्ट्रअल हाइजीन के बारे में जानकारी नहीं है. ये भी बताया कि मासिक धर्म में ज्यादा रक्तस्त्राव और कम रक्तस्त्राव होने की वजह से बीमारियां हो जाती हैं और वे शारीरिक और मानसिक रूप में बहुत कमजोर हो जाती हैं. इसके साथ ही वक्ता के रूप में पैरामेडिकल संकाय की शिक्षिका सोनिया शुक्ला ने ऑनलाइन माध्यम से करीब 3 सौ प्रतिभागी और पैरामेडिकल छात्राओं को जागरूक किया.

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सेनेटरी नैपकिन की विशेषताएं और इस्तेमाल कैसे करें

अगर किसी के पास सेनेटरी नैपकिन नहीं है तो वह साफ कपड़े का इस्तेमाल कैसे करें. मासिक धर्म चक्र में अगर अनियमितताएं आ रहीं हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह कब लें. कुछ जगहों पर अभी भी मासिक धर्म के समय रसोई घर में और अन्य वस्तुओं को नहीं छूने देते हैं जोकि एक बहुत गलत बात है. इसके बारे में कैसे जागरूक करें.
भारत सरकार बहुत सारी योजनाएं लाई है. इसकी जागरूकता के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जिसके तहत आशा दीदी से 6 रुपये में फ्री डेज नाम की नैपकिन का पैकेट मिलता है. यह कार्यक्रम डॉक्टर विनोद जैन के तत्वाधान में किया गया. इस कार्यक्रम का संचालन सोनिया शुक्ला ने किया. इस कार्यक्रम में वीनू दुबे , राघवेन्द्र शर्मा और सचिन शर्मा मौजूद रहीं.

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