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दो सीनियर आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच की संस्तुति, जानिए पूरा मामला - DM Suhas L Y

लोकयुक्त संगठन की रिपोर्ट के बाद दो सीनियर आईएएस अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं.

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Published : Aug 11, 2023, 12:13 PM IST

लखनऊ : विधानसभा पटल पर रखी गई लोकायुक्त संगठन की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के दो सीनियर आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच की संस्तुति की गई है, जिनमें में से एक हरदोई के तत्कालीन डीएम पुलकित खरे हैं, जबकि दूसरे पैरा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके बैडमिंटन खिलाड़ी उत्तर प्रदेश के सचिव खेल सुहास एलवाई शामिल हैं.



हरदोई में फर्जी तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में लोकायुक्त संगठन में हुई शिकायत पर तत्कालीन डीएम पुलकित खरे द्वारा कोई जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ अनुशासनिक जांच करने की संस्तुति की गई है. लोकायुक्त संगठन ने अपनी संस्तुति में कहा कि पुलकित खरे ने जानबूझकर आदेशों की अवहेलना की. वहीं शिकायत के संबंध में मांगी गई सूचना और अभिलेख लोकायुक्त संगठन को उपलब्ध न कराकर, अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया.


विधानसभा में बृहस्पतिवार को पेश की गई लोकायुक्त संगठन की 2019 की रिपोर्ट में इस प्रकरण का भी उल्लेख किया गया है. लोकायुक्त संगठन ने इस मामले में दोषी लोक सेवक के खिलाफ जांच कराने और दोषी पाए जाने पर दंडित करने का प्रविधान है. शिकायत हरदोई निवासी राममोहन ने की थी, इसमें 2011 में कस्तूरबा गांधी विद्यालय में शिक्षकों की फर्जी तरीके से हुई नियुक्तियों की शिकायत की गई थी. राममोहन ने तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी, बीएसए कार्यालय के प्रधान लिपिक रामनाथ पर भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिटाने का आरोप भी लगाया था. उल्लेखनीय है कि शिक्षकों के चयन के लिए गठित समिति में डीएम, सीडीओ और बीएसए शामिल थे.


सुहास एल. वाई के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच कराने की सिफारिश : एक अन्य मामले में लोकायुक्त संगठन ने प्रयागराज के तत्कालीन डीएम सुहास एल. वाई के खिलाफ शिकायत में राज्य सरकार से उच्चस्तरीय जांच कराने की सिफारिश की है. वर्ष 2019 में परिवादी हरीश टंडन ने शिकायत की थी कि उनकी नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने के अदालत के आदेश के बावजूद तत्कालीन डीएम ने उसका पुनर्ग्रहण करने का प्रयास किया. लोकायुक्त ने अपनी जांच के बाद तत्कालीन डीएम सुहास सुहास एल. वाई के खिलाफ की गई शिकायत की उच्चस्तरीय जांच कराने की सिफारिश की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग तो नहीं किया. जांच में उनके दोषी पाए जाने पर नियमों के मुताबिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

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