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उन्नाव केस: आरोप पत्र दाखिल करने के साथ अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश

यूपी के चर्चित उन्नाव दुष्कर्म मामले में प्रदेश सरकार में तैनात कई विभागीय अधिकारी आने वाले दिनों में सीबीआई की कार्रवाई का हिस्सा हो सकते हैं. सीबीआई ने अभी किसी भी नाम का खुलासा नहीं किया है.

उन्नाव केस.

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Published : Oct 12, 2019, 10:15 AM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित उन्नाव रेप कांड मामले में उत्तर प्रदेश सरकार में तैनात कई विभागीय अधिकारी भी आने वाले दिनों में सीबीआई की कार्रवाई का हिस्सा बन सकते हैं. आरोप पत्र दाखिल करते हुए सीबीआई ने महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है. हालांकि अभी अधिकारियों के नाम को सीबीआई ने गोपनीय रखा है.

28 जुलाई को पीड़िता की कार का हुआ था एक्सीडेंट
उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित उन्नाव रेप कांड मामले में सीबीआई ने राजधानी लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए हैं. सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कुलदीप सिंह सेंगर को पीड़िता व उसके ड्राइवर सहित दोषियों की सड़क दुर्घटना में हत्या का आरोपी नहीं बनाया है. वहीं आरोप पत्र में कुलदीप सिंह सिंगर को आपराधिक साजिश और धमकी देने का आरोपी बनाया गया है. बताते चलें रायबरेली में 28 जुलाई को पीड़िता की कार का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उसकी दोनों मौसी की मौत हो गई थी. वहीं गंभीर रूप से घायल पीड़िता और उसके वकील को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद बेहतर इलाज के लिए उसे एम्स भेजा गया. एम्स में पीड़िता की हालत में सुधार आया है.

सीबीआई ने कुलदीप सिंह सेंगर को आपराधिक साजिश और धमकाने का आरोपी माना
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कुलदीप सिंह सेंगर को आपराधिक साजिश व धमकी देने का आरोपी माना है तो वहीं पीड़िता की कार को टक्कर मारने वाले ट्रक ड्राइवर आशीष कुमार पाल को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत लापरवाही के तहत गाड़ी चलाने व लापरवाही के चलते मौत का आरोपी माना है. ट्रक ड्राइवर को भी आपराधिक साजिश का आरोपी नहीं माना गया है.

सीबीआई ने सबसे पहले लखनऊ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुराधा शुक्ला के सामने चार्जशीट पेश की. अदालत ने सीबीआई को इस लिफाफे को सील बंद कर दिल्ली के विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी किया. कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार विवेचना के दौरान इस अदालत को सुनवाई करने का अधिकार है, परंतु अब विवेचना पूरी होने के बाद आरोप पत्र पर सुनवाई का अधिकार दिल्ली की कोर्ट का है. लिहाजा अब आगे की सुनवाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में होगी.

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दिल्ली सीबीआई कोर्ट में पहले ही सीबीआई पीड़िता के साथ वर्ष 2017 में हुए सामूहिक दुष्कर्म को लेकर आरोप दाखिल कर चुकी है. इस घटना को लेकर सीबीआई ने नरेश तिवारी, बृजेश यादव, शुभम सिंह को आईपीसी की धारा 363 अपहरण 366 शादी के लिए मजबूर करने के लिए महिला का अपहरण, 376 डी सामूहिक दुष्कर्म, धारा 120 आपराधिक साजिश तथा पास्को एक्ट में आरोपी बनाया है. सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोप साबित होते हैं तो इन सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा हो सकती है.

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