बलरामपुर:हर साल बाढ़ के कारण बलरामपुर जिला बड़ी समस्या झेलता है. यहां पर जुलाई माह से सितंबर माह के बीच आने वाली बाढ़ से हजारों बीघा फसल जलमग्न हो जाती है. किसानों का बड़े पैमाने पर नुकसान होता है. जिले में नेपाल से निकलने वाली राप्ती नदी बड़े पैमाने पर बाढ़ का सैलाब लाती है, जिससे हर साल तकरीबन 250-300 गांव प्रभावित होते हैं. इस बार भी जिले में यही स्थिति है.
जमीन पर योजनाएं विफल
करोड़ों की लागत से लोगों को बाढ़ से बचाने की कवायद तो शुरू है, लेकिन बाढ़ के साथ ही प्रशासन का यह हकीकत उसे मुंह चिढ़ाता है कि जमीन पर योजनाएं विफल हैं. बलरामपुर जिले के कई गांव बाढ़ की समस्या से दो चार हो रहे हैं, जहां पर बाढ़ खंड और सिंचाई विभाग द्वारा काम किया गया है. सदर ब्लॉक के साहिबापुर, नारायणपुर मझारी, खजुरिया, कल्याणपुर, जब्दी, जबदहा, जोगियाकला, बड़का रमवापुर और छोटका रमवापुर में काम किया गया था. इन गांवों के ग्रामीण बताते हैं कि जो भी काम किए जा रहे हैं, वह बाढ़ का पानी आने के बाद किया जा रहा है. यदि ये थोड़ा पहले किया जाता तो इसका ज्यादा लाभ होता.
'बाढ़ रोकने का नहीं किया जा रहा प्रयास'
बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित गौरा चौराहा और दतरंगवा इलाके के बाशिंदों का कहना है कि प्रशासन द्वारा न तो समय से मदद मुहैया करवाई जा रही है और न ही बाढ़ रोकने का कोई पुख्ता प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि सालों से यहां बाढ़ आने का केवल एक कारण है-सिल्ट की सफाई न हो किया जाना. अगर नदी और नालों के सिल्ट की सफाई हर साल की जाए तो तराई इलाकों में बाढ़ की समस्या से कुछ हद तक निजात पाई जा सकती है.
...जब जल शक्ति मंत्री से बाढ़ को लेकर सवाल पूछा गया
पिछले दिनों बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह से जब पत्रकारों ने सिल्ट की सफाई और बाढ़ के कामों से जुड़ा सवाल किया था तो उन्होंने जबाव में कहा था कि बाढ़ प्रभावित इलाकों से गुजरने वाली नदियों व नालों के सिल्ट की सफाई नियमित रूप से करवाई जाती है. नहरों और नालों की सफाई के लिए विशेष अभियान हमने चलाया है और बहुत अच्छा काम किया है.