लखनऊ:ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस (Gyanvapi Shringar Gauri Case) में सोमवार को वाराणसी की जिला अदालत ने अपना फैसाल सुना दिया है. जिला कोर्ट ने कहा है कि श्रृंगार गौरी से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य है. हिंदू के पक्ष के वकील विष्णु जैन और हरिशंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने यह फैसला सबूतों के आधार पर दिया है. अब श्रृंगार गौरी मामले में हर दिन पूजा-पाठ करने के लिए दायर की गई याचिका पर रोजाना सुनवाई होगी. कोर्ट की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी पर प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट (places of worship act 1991) लागू नहीं होता है. इस कारण ज्ञानवापी मामले में पूजास्थल का धार्मिक कैरेक्टर बदलने की गुंजाइश है. वाराणसी कोर्ट का यह फैसला आने के बाद हिंदू व मुस्लिम समुदाय से जुड़े धर्मगुरुओं व संतों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी हैं. हिंदू पक्ष के लोग कोर्ट के फैसले से खुश हैं, तो वहीं मुस्लिम पक्ष के लोग इस फैसले से नाराजगी जता रहे हैं. हालांकि मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
मुस्लिम धर्मगुरू बोले- हम कोर्ट का सम्मान करते हैं
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस पर कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने प्रतिक्रिया दी है. मौलाना ने कहा कि वह कोर्ट से फैसले का सम्मान करते हैं. इस मामले पर एक्सपर्ट से राय ली जाएगी. उसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा. एक्सपर्ट की टीम पहले फैसले को पढे़गी, उसके बाद कोई अगला कदम उठाएगी.
मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि वरशिप एक्ट(places of worship act 1991) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक उम्मीद जगी थी. लोगों को उम्मीद थी कि मंदिर-मस्जिद के तमाम मामले हमेशा के लिए हल हो गए हैं. हम लोग कोर्ट के तमाम फैसलों का सम्मान करते हैं. लीगल टीम पहले स्टडी करेगी फिर कोई कदम उठाया जाएगा. फरंगी महली ने कहा कि हर शहरी यह चाहता है किसी तरह का कोई सांप्रदायिक मुद्दा न उठाया जाए और देश का माहौल अच्छा बना रहे.
शिया धर्मगुरू मौलाना यासूब अब्बास बोले- मिलकर सुलझाएं यह मसला
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी व शिया धर्मगुरू मौलाना यासूब अब्बास ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. मंदिर-मस्जिद धार्मिक आस्था का विषय है. सभी हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर इस मसले को सुलझाएं. लोग इस मसले पर राजनीति न करें. इस मामले को आपस में निपटाकर देश की तरक्की के लिए चर्चा करनी चाहिए. लोगों को बेरोजगारी, महंगाई पर चर्चा करनी चाहिए.
कोर्ट के फैसले को अयोध्या के संतों ने बताया जीत का फैसला
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्षकारों में खुशी की लहर है. वहीं, धर्म नगरी अयोध्या के संतो ने भी प्रसन्नता जाहिर की है. संतो ने कोर्ट के फैसले को अपनी पहली जीत बताया है. अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने कहा कि जिस प्रकार से देश के प्रधानमंत्री देश में गुलामी के प्रतीकों को समाप्त कर रहे हैं. उसी प्रकार से हिंदू धर्म आस्था से जुड़े मंदिरों पर जो अत्याचार हुआ है, उसके लिए न्याय का समय आ गया है. हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा न्यायालय ने आज जो फैसला दिया है वह हिंदू पक्ष की पहली जीत है. सिर्फ ज्ञानवापी ही नहीं देश भर में सैकड़ों ऐसे मंदिर हैं जिन्हें न्याय का इंतजार है. वहीं, ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले के बाद बाबरी मस्जिद केस के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश का सभी को सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करना चाहता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है. न्याय पाने का सभी को अधिकार है.