लखनऊ: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साइबर क्राइम के मामलों की विवेचना में खामियों पर नाराजगी जताई थी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने साइबर क्राइम मामलों की जांच के लिए पुलिस की तैयारियों की डीजीपी से जानकारी मांगी थी. कोर्ट की फटकार के बाद यूपी पुलिस साइबर क्रिमिनल्स से निपटने के लिए मजबूत चक्रव्यूह तैयार कर रही है. इसके लिए साइबर सलाहकार की नियुक्ति से लेकर साइबर थानों में तैनात पुलिसकर्मियों की नए सिरे से ट्रेनिंग कराई जा रही है.
साइबर थानों के पुलिसकर्मियों की दी जा रही है फोरेंसिक ट्रेनिंग: एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक साइबर क्रिमिनल रोजना ठगी के नए-नए तरीके इस्तेमाल करते हैं. इस तरह के साइबर ठगों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों को भी अपडेट रहना पड़ता है. इसके लिए उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में स्थापित साइबर थानों में तैनात 400 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दिलाई जा रही है.
त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इन सभी पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग केंद्रीय गृह मंत्रालय की देख-रेख में होती है. साइबर थानों में तैनात पुलिसकर्मियों को साइबर फोरेंसिक ट्रेनिंग भी कराई जा रही है, जिससे महिलाओं और बच्चों से जुड़े साइबर अपराधों में पुलिस त्वरित प्रभावी कार्रवाई कर सके. विवेचना और साक्ष्य संकलन के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
साइबर हेल्प लाइन को किया जा रहा मजबूत: एसपी त्रिवेणी सिंह के मुताबिक साइबर ठगी की सूचना देने के लिए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 में आने वाली सूचनाओं को वरीयता दी जा रही है. इसके लिए 60 लोगों की टीम 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं. जो प्राथमिकता से शिकायतों को सुनकर तत्काल बैंकों से बातकर पैसों को होल्ड कराने का काम करते हैं.