लखनऊ:नवाबों की नगरी में मौजूद ऐतिहासिक इमारतें देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. पुराने लखनऊ में नवाबों के समय की इमारतें मौजूद हैं. इनमें ही शामिल है मोहान रोड स्थित टिकैत राय तालाब. इसका भी अपना एक इतिहास रहा है. जानकार बताते हैं कि 18 वीं सदी में नवाब आसिफुद्दौला के खास रहे दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब को बनवाया था. इसको लखौरी की ईंटों से बनवाया गया था. कालान्तर में लापरवाही के चलते इस तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था. करीब 25 साल पहले तत्कालीन सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने 25 लाख की लागत से तालाब में म्यूजिकल फाउंटेन लगाया था.
राजधानी में भूल-भुलैया, रेजिडेंसी, सफेद बारादरी, लाल बारादरी, भातखंडे संगीत विद्यालय, सतखंडा, सहादत अली खान का मकबरा, रूमी गेट, लक्ष्मण पार्क और जनरैल कोठी जैसी तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं. इन इमारतों को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं.
राजा टिकैत राय ने बनवाया था तालाब
इतिहासकार योगेश प्रवीन बताते हैं कि अवध के नवाब आसिफुद्दौला थे. उनके नाम से रूमी दरवाजा है. फैजाबाद पहले अवध की राजधानी हुआ करती थी. मां से अनबन होने के बाद आसिफुद्दौला घर से चले आए थे. वह जानते थे कि उनकी मां बहुत दबंग हैं. इसलिए आसिफुद्दौला फैजाबाद छोड़कर लखनऊ आ गए. इसके बाद उन्होंने लखनऊ को नये तरीके से आबाद किया. उन्हीं के शासनकाल में 1775 से 1798 के बीच टिकैत राय तालाब का निर्माण हुआ. नवाब साहब दीवान राजा टिकैत राय ने इस तालाब का निर्माण कराया था. राजा टिकैत राय बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के शख्स थे. उन्होंने कई इमारतें भी बनवाईं. राजा बाजार भी उनके ही नाम पर हैं. तालाब के आसपास का इलाका टिकैत गंज कहलाता है. मेहंदी गंज के पीछे शीतला मंदिर है. एक निशात बाग भी हुआ करता था. वह अब जर्जर अवस्था में है.