लखनऊ: उन्नाव के जिलाधिकारी देवेन्द्र कुमार पांडे को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. अब उनकी जगह रवींद्र कुमार को नया जिलाधिकारी बनाया गया है. देवेन्द्र कुमार पांडे के विरुद्ध शासन के संज्ञान में यह तथ्य सामने आए हैं कि उनके द्वारा लखनऊ मंडल के उन्नाव में कंपोजिट स्कूल ग्रांट के लिए प्रेषित धनराशि के संबंध में त्रुटि पूर्ण निर्णय लेकर कार्य करते हुए कंपोजिट स्कूल ग्रांट के क्रियान्वयन व उपभोग में अनियमितता की गई है.
सरकार की तरफ से जारी आदेश.
मंडलायुक्त लखनऊ की जांच में पाई गई अनियमितताओं के लिए देवेंद्र कुमार पांडे को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है. इसके दृष्टिगत उन्हें निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1969 के नियम-8 के अंतर्गत बृहद दंड दिए जाने के उद्देश्य से अनुशासनिक कार्रवाई संस्थित कर दी गई है.
प्रकरण में कई कमियां पाई गई निम्न कमियां
- तथाकथित जिला स्तरीय कमेटी द्वारा कंपोजिट ग्रांट के तहत राज्य परियोजना कार्यालय से निर्गत कार्यों की सूची को अनाधिकृत रूप से अतिक्रमण करते हुए जिला स्तर पर नई सूची जारी की गई एवं अनुमोदित कार्यों को भी कम किया गया.
- जिला स्तर पर राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा निर्धारित अनिवार्य कार्यों की सूची में विचलन करते हुए अन्य सामान्य कार्यों वस्तुओं को जोड़ दिया गया और राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा निर्धारित अनिवार्य कार्यों को सूची से हटा दिया गया.
सरकार की तरफ से जारी आदेश. - विभिन्न विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट से एक ही विशेष फर्म जोकि जनपद जौनपुर की फर्म है, जहां से ही अधिकांश सामग्री क्रय की गई है. साथ ही साथ सामग्री का क्रय बाजार दर से उच्च दर पर किया गया. यही नहीं सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहा है. फर्म जीएसटी हेतु पंजीकृत भी नहीं है.
- 20 सितंबर 2018 को धनराशि सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से जिला परियोजना कार्यालय उन्नाव के लिए आवंटित की गई जिसे जिले स्तर से विभिन्न विद्यालयों के खातों में 15 अक्टूबर 2018 को ही आरटीजीएस के माध्यम से स्थानांतरित कर दी गई थी. परंतु सामग्री के क्रय हेतु दिनांक 23 फरवरी 2019 को जिला स्तर से सूची निर्गत की गई, जिससे स्पष्ट है कि धनराशि आवंटित होने के बावजूद समय से सामग्री क्रय नहीं की गई एवं विकेंद्रीकृत व्यवस्था को केंद्रीय कर दिया गया.
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