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श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई गई रामनवमी, भक्तों ने ऑनलाइन किए प्रभु के दर्शन - ramnavami festival celebrated at ramakrishna math

राजधानी लखनऊ के निरालानगर स्थित रामकृष्ण मठ में रामनवमी पूरे विधि-विधान के साथ मनाया गया. इस मौके पर मंदिर में कोविड गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया. कोरोना काल में भक्त बिना मंदिर आये प्रभु का दर्शन कर सकें, इसके लिए मंदिर में आयोजित सभी कार्यक्रमों का यूट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया.

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रामकृष्ण मठ में रामनवमी उत्सव

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Published : Apr 22, 2021, 12:26 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के निरालानगर स्थित रामकृष्ण मठ में बुधवार को रामनवमी उत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कोरोना के कारण इस बार मंदिर में भक्तों की भीड़ नहीं के बराबर रही. कोरोना काल में इस बार भक्तों ने ऑनलाइन दर्शन कर पुण्य लाभ लिया और सबके कल्याण के लिए प्रार्थना की. इसके अलावा इंदिरा नगर स्थित ईश्वरधाम मंदिर, अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी रामनवमी का पर्व कोविड गाइडलाइंस के अनुसार ही मनाया गया.

भक्तों ने ऑनलाइन किए भगवान राम के दर्शन

रामकृष्ण मठ में रामनवमी का उत्सव सभी परंपराओं का पालन करते हुए पूरे विधि-विधान से मनाया गया. मंदिर में रामनवमी उत्सव का कार्यक्रम प्रातः 4ः30 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक चला. इस दौरान कोरोना महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग एवं कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया गया. मंदिर में आयोजित रामनवमी उत्सव के सभी कार्यक्रमों का यूट्यूब चैनल 'रामकृष्ण मठ लखनऊ' के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया.

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सुबह से रात तक चला कार्यक्रम

बुधवार प्रात: 4:30 बजे मठ के मुख्य प्रांगण स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज के नेतृत्व में संतों ने मंगल आरती के साथ वैदिक मंन्त्रोच्चारण और गीता पाठ कर उत्सव का शुभारंभ किया. इस दौरान श्री रामकृष्ण वचनामृत पर पर स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने प्रवचन भी दिया. इसके बाद स्वामी इष्टकृपानन्द ने विशेष 'षोडशोपचार पूजा' कराई. जिसमें 16 तरह की सामग्रियों से प्रभु राम की पूजा की गई.



श्री विष्णु सहस्त्र नाम का हुआ पाठ

रामनवमी उत्सव में रामकृष्ण मठ के ब्रह्मचारी अनादिचैतन्य चैतन्य के नेतृत्व में विष्णु सहस्र नाम स्तोत्रम् का पाठ किया गया. इसके पश्चात हवन किया गया एवं स्वामी इष्टकृपानन्द ने अपने मधुर स्वर में भजन प्रस्तुत किया. दोपहर 12 बजे भोग आरती हुई और सुबह का कार्यक्रम देवों की प्रार्थना के साथ सम्पन्न हुआ.

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शाम को हुआ प्रवचन

शाम के समय प्रभु श्री रामकृष्ण एवं प्रभु श्री रामचन्द्र की संध्या आरति के पश्चात रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने वाल्मीकि रामायण पर प्रवचन दिया. उन्होंने कहा कि ईश्वर के साक्षात अवतार भगवान श्री राम के आगमन का मुख्य उद्देश्य मानव के अन्दर देवत्व गुण जगाना था. स्वामी जी ने कहा कि भगवान मनुष्य शरीर धारण करते हैं ताकि मनुष्य भगवान हो सके. उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में रामचन्द्र जी को भगवान के रूप में प्रस्तुत किया. वहीं महर्षि वाल्मीकि जी जो कि रामचन्द्र के मूल जीवनीकार थे, वह रामचन्द्र जी को एक आदर्श मनुष्य के रूप में प्रस्तुत किये जो सभी मनुष्यों के लिए हर क्षेत्र में आदर्श के रूप में विराजमान है. स्वामी जी ने कहा कि राम ने एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श बन्धु, आदर्श योद्धा, आदर्श राजा, आदर्श संत एवं आदर्श शत्रु की शिक्षा समाज को दी. श्री राम के अमर जीवनी की शिक्षा सभी मानवों को उनके अनुरूप अपने जीवन को एक आकार देने के लिए निर्देशिका के रूप में हमेशा के लिए कार्य करती है.

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