लखनऊः यह कहानी एक किडनी वाले रेसर रामहरख की है. यह रेसर हर दिन अपने सपनों के लिए ट्रैक पर उतरता है और मेहनत करता है. 29 साल के रामहरख ने ईटीवी भारतसे बात करते हुए बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद खुद को कमजोर मान लेने वालों की सोच बदलने के लिए वह हर दिन ट्रैक पर उतरते हैं. उनका सिर्फ एक ही सपना है कि देश का मान बढ़ाया जाए. रामहरख अपने सपनों को पंख देने और आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए शहर के एक स्टेडियम में चौकीदार की नौकरी भी कर रहे हैं.
जॉन्डिस के कारण दोनों किडनियां हो गई थी खराब
रामहरख ने बताया 2015 में जॉन्डिस (पीलिया) होने की वजह से उसकी दोनों किडनियां खराब हो गयी थीं. उन्होंने बताया कि घर में सबसे बड़े होने की वजह से उनकी मां ने एक किडनी देकर जान बचाई थी. इसके बाद वह बीमारी से तो उबर गए, लेकिन शरीर में पहले जैसी बात नहीं रही.
लखनऊ के पीजीआई में हुआ था ट्रांसप्लांट
एथलीट रामहरख ने बताया कि संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. जब डॉक्टरों को यह पता चला कि वह रेसर हैं, तो उन्होंने आगे दौड़ने के लिए मना कर दिया. रामहरख की जिद और आत्मविश्वास को देखते हुए उनके मां-बाप और डॉक्टर ने उन्हें फिर से दौड़ने की परमिशन दे दी.