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Ramcharit Manas Controversy : पूर्व डीजीपी ने कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने नहीं किया मानस का अपमान, कानून का हो रहा गलत इस्तेमाल

श्रीरामचरित मानस की कुछ पंक्तियों पर सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मुद्दे पर पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा है कि मौर्य के बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है. कहा कि भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया है. ऐसे में हिंदू समाज के तमाम प्रदूषित और अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी.

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Published : Jan 30, 2023, 2:29 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों पर दिए गए बयान पर सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य को पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का समर्थन मिला है. सुलखान सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन करते हुए फेसबुक पोस्ट में लिखा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के मानस पर दिए बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है. मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है, मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है. उन्हें इसका अधिकार है. यही नहीं मौर्य के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमों पर भी पूर्व डीजीपी ने आपत्ति जताई है.

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स्वामी ने कुछ गलत नहीं कहा, FIR दर्ज होना गलत : सुलखान सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा है कि स्वामी प्रसाद द्वारा रामचरित मानस की पंक्तियों पर उठाए गए सवाल में कोई भी मर्यादा नहीं तोड़ी गई है. उन्होंने सिर्फ सवाल उठाए हैं, जिसका जवाब लोगों को देना चाहिए, न कि हंगामा मचाएं. उन्होंने कहा है कि जब से मौर्य ने बयान दिया है तभी से उनके खिलाफ राज्य के अलग अलग थानों में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किए गए हैं, जो बिल्कुल गलत हैं. ये तो कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है.

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सपा नेता व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में सूबे के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि हिंदू समाज के तमाम प्रदूषित और अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी. भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया है. इन ग्रन्थों में जातिवाद, ऊंच-नीच, छुआछूत, जातीय श्रेष्ठता/हीनता आदि को दैवीय होना स्थापित किया गया है. अतः पीड़ित व्यक्ति/समाज अपना विरोध तो व्यक्त करेगा ही. किसी को भी भारतीय ग्रंथों पर एकाधिकार नहीं जताना चाहिए. पूर्व डीजीपी ने लिखा कुछ अति उत्साही उच्च जाति के हिंदू हर ऐसे विरोध को गालीगलौज और निजी हमले करके दबाना चाहते हैं. यह वर्ग चाहता है कि सदियों से शोषित वर्ग, इस शोषण का विरोध न करे, क्योंकि वे इसे धर्म विरोधी बताते हैं. हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी है कि लोगों को अपना विरोध प्रकट करने दिया जाए. भारतीय ग्रंथ सबके हैं, यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है, इसीलिए विरोध करता रहता है. अन्यथा इस्लाम या ईसाई धर्म अपना चुका होता. अतीत में धर्मांतरण इसी कारण से हुए हैं. सुलखान सिंह ने फेसबुक पर लिखा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के मानस पर दिए गए बयान पर अभिजात्य वर्ग की प्रतिक्रिया ठीक नहीं है. मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है, मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है. उन्हें इसका अधिकार है, रामचरित मानस पर किसी जाति या वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है. राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं, हम उनका अनुसरण करते हैं. हमें यह अधिकार है कि हम अपने पूर्वजों से प्रश्न करें. यह एक स्वस्थ समाज के विकास की स्वाभाविक गति है. राम और कृष्ण से उनके कई कार्यों के बारे में सदियों से आम लोग सवाल पूछते रहे हैं. यही उनकी व्यापक स्वीकार्यता का सबूत है. मैं रामचरित मानस और भगवद्गीता का नियमित पाठ करता हूं और इनका अनुसरण करने का यथासंभव प्रयास करता हूं, लेकिन मैं मानस और गीता पर प्रश्न उठाने वालों की निंदा नहीं करता हूं, बल्कि ऐसे लोगों से संपर्क होने पर अपनी समझ और क्षमता के अनुसार उनके संदेहों का निवारण करता हूं, हिंदू समाज की एकता और मानवता के हित में मैं निंदक लोगों पर हमले और अभद्रता करने वालों की निंदा करता हूं. इसलिए हो रहा स्वामी का विरोध : दरअसल, सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में कहा था कि तुलसीदास की रामचरित मानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई में वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. मौर्य के इस बयान के बाद देश भर में उनके खिलाफ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. लखनऊ में रविवार को स्वामी के समर्थित कार्यकर्ताओं ने राम चरित मानस की प्रतिलिपि भी जलाई थी. जिसके बाद पीजीआई थाने में स्वामी प्रसाद समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.यह भी पढ़ें : Rahul gandhi on Bharat Jodo Yatra: जम्मू कश्मीर के लोगों ने मुझे हैंड ग्रेनेड नहीं, प्यार दिया, बोले राहुल

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