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जानिए राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष से लेकर नव्य अयोध्या की यात्रा को कैसे देखते हैं संत - Ram Mandir Movement

अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी) की दुंदुभी बज चुकी है. देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस अवसर के साक्षी बनने के लिए पहुंच रहे हैं. हालांकि साधु-संत राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष की कहानी याद कर आज भी भावुक हो उठते हैं. Ram Mandir 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 12:39 PM IST

Updated : Jan 14, 2024, 6:14 AM IST

साधु संतों से जानिए राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष की गाथा.



अयोध्या :आज प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया में अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की चर्चा है. अयोध्या में विकास की गंगा बहाई जा रही है. बदलाव की बयार ऐसी चली है कि अयोध्या की गली-कूचों के दिन भी बहुरने लगे हैं, जिन्हें कभी कोई पूछता भी नहीं था. बदलाव के इस दौर को अयोध्या के संत कैसे देखते हैं? राम मंदिर आंदोलन के अतीत की कड़वी यादें और इस नगर का खोया वैभव लौटाने के उल्लास को संत कैसे महसूस करते हैं. देखें विशेष रिपोर्ट. Ram Mandir 2024

अयोध्या राम मंदिर का दिव्य दरबार.

टाट से ठाठ की ओर : हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास बताते हैं कि टाट से ठाठ की ओर राम जन्मभूमि मंदिर की हम लोगों ने कल्पना की थी. हमारे पूर्वजों ने हमें जो रास्ता दिखाया था कि राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, हम उस दौर से गुजरे हैं. हमने अपने ही हाथों से लोगों को लाशों को हटाया है. हमने वह दिन भी देखा है और आज का दिन भी देख रहे हैं. यह वही अयोध्या है, जहां राजनेता कतराते और घबराते थे. नाम लेना पसंद नहीं करते थे. लोग आते थे और गुलाब बाड़ी मैदान में सभा करके चले जाते थे. मुलायम सिंह और मायावती भी गुलाबबाड़ी तक आकर चले जाते थे. जन्मभूमि पर कानूनी लड़ाई थी. हम संविधान को मानते हैं, लेकिन अयोध्या के विकास से किसी को क्या दुश्मनी थी. आज जिस प्रकार से भव्य-नव्य अयोध्या का निर्माण पौराणिकता को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, यह पहले भी हो सकता था. निहत्थे राम भक्तों का सीना गोलियों से छलनी होते हुए भी हमने देखा है. चौरासी कोसी परिक्रमा के दौरान दो-दो माह के लिए जेल में भी रहना पड़ा. वह दिन भी देखा जब मुकदमे हुए और डंडे भी खाने पड़े. Ram Mandir 2024

अयोध्या राम मंदिर का भव्य स्वरूप.
अयोध्या राम मंदिर का दिव्य स्वरूप.

अयोध्या आने से घबराती थी सरकार :महंत राजू दास कहते हैं कि आज की सरकार की वह व्यवस्था है जो यहां कैबिनेट की बैठक करती है. एक समय था कि सरकार घबराती थी, कतराती थी और भागती थी. यह जो हो रहा है, उसकी कल्पना भी कठिन थी. पहले शहर में अव्यवस्था का आलम था. टूटी सड़कें और बदबूदार नालियों के साथ तारों का झंझावात हर ओर दिखाई देता था. आज शहर में बदलाव की बयार बह रही है. जिस तरह से शहर में विकास कार्य हुए हैं, वह अकल्पनीय थे. कुछ लोग कहते थे कि मंदिर से क्या लेना-देना, मंदिर से क्या मतलब, मंदिर बनने से फायदा क्या है. बिहार के मुख्यमंत्री ने अभी बयान दिया था कि यदि किसी की तबीयत खराब होगी तो उसे मंदिर ले जाओगे या अस्पताल. वह यह भी तो कह सकते थे कि चर्च जाने से क्या फायदा, नमाज पढ़ने से क्या फायदा, यह भी कह सकते थे कि मस्जिद जाने से क्या फायदा, लेकिन मंदिर ही सबको तकलीफ दे रहा है. मंदिर यह सिखाता है कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो. प्राणियों में सद्भाव हो, विश्व का कल्याण हो. आज धर्म को न मानने वाले लोग इस प्रकार की टीका-टिप्पणी करते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. Ram Mandir 2024

राम मंदिर आंदोलन में शहीद.
अयोध्या राम मंदिर दरबार.




गुलामी की मानसिकता से बाहर आए :जगतगुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य कहते हैं कि यह यात्रा बहुत जटिल थी. लगभग साढ़े चार सौ वर्ष से हिंदुओं का यह संघर्ष चल रहा था. इसके लिए निरंतर वहां भजन-कीर्तन चलते थे. लोग जानते हैं कि यह देश संविधान से चलता है. यही कारण है कि इतने लंबे संघर्ष और मुकदमे के बाद हम सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे. अंत में शीर्ष अदालत के फैसले से यह बात सिद्ध हो गई कि रामलला यहीं जन्मे थे और वह यहीं प्रकट हुए थे. अब उस जगह पर जहां खून की नदियां बहीं, वहीं आस्था बनकर आज राम मंदिर की ओर परिणीति हो रहा है. हम लोगों ने जिस तरह से आजादी के लिए आनंद और उत्सव मनाया था, मुझे लगता है कि आध्यात्मिक उत्सव और आनंद की वह तिथि आने वाली है 22 जनवरी को. जब भव्य मंदिर में रामलला विराजमान होंगे. अब राम मंदिर के साथ-साथ राष्ट्र मंदिर की परिकल्पना भी सार्थक होगी. निश्चित रूप से हम उस ओर बढ़ रहे हैं. जहां तैमूर, जहांगीर और बाबर के नाम पर सड़कों के नाम रखे जाते थे, वहां अब रामपथ, धर्म पथ जैसे नाम रखे जा रहे हैं. यह संकेत है कि भारत गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल चुका है.

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राम मंदिर आंदोलन की कहानी संत की जुबानी, सालों किया संघर्ष, कई बार गये जेल, फिर भी नहीं डिगी आस्था

Last Updated : Jan 14, 2024, 6:14 AM IST

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