लखनऊः यूपी में बीजेपी ने दो छोटे दलों, जिनमें अपना दल (स) और निषाद पार्टी से गठबंधन किया है. लेकिन एक दल ऐसा भी है जो गठबंधन में न होते हुए भी उसके लिए राह आसान बनाये हुए है. वो बात अलग है कि वो दल चुनावी मैदान में बीजेपी के खिलाफ लड़ रहा है. बात हो रही है जनसत्ता दल की, जिसके अध्यक्ष हैं कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया. न तो भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता राजा भैया के खिलाफ कुछ बोलते हैं और न ही राजा भैया बीजेपी के खिलाफ. कई मौकों पर देखा गया है कि राजा भैया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (chief minister yogi adityanath) की तारीफ भी करते हुए देखे जाते हैं.
राजा भैया ने एजेंसी को एक इंटरव्यू देते हुए योगी सरकार की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के मुकाबले योगी सरकार ने राज्य में सड़क और बिजली उपलब्ध कराने के मामले में बेहतर काम किया है. राजा भैया ने कहा कि सड़कों को लेकर काम, बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराना साथ ही नहरों में खुदाई के मामले में योगी सरकार ने पिछली सरकारों के मुकाबले बेहतर काम कर के दिखाया है.
ये कोई पहली बार नहीं है, जब राजा भैया योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ही बीजेपी की तारीफ करते हुए देखे जाते हैं. बीजेपी भी उन पर पिछले और इस चुनाव में आक्रामक होते नहीं दिखी है. हालांकी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रतापगढ़ के कुंडा में पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में रैली करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने एक बार भी मौजूदा विधायक और विपक्षी उम्मीदवार राजा भैया का नाम तक नहीं लिया था. नड्डा वहां कुंडा की बीजेपी प्रत्याशी सिन्धुजा मिश्रा के समर्थन में जनसभा कर रहे थे. यही नहीं इससे पहले के चुनावों में भी बीजेपी का कोई भी नेता उनके खिलाफ बोलते कम ही देखा गया था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बाबागंज में आए बीजेपी नेता कलराज मिश्र ने भी राजा भैया के खिलाफ बोलने से दूरी बनाई थी.
रघुराज प्रताप सिंह कुंडा से 1993 से अबतक 6 बार विधायक रह चुके हैं. वहीं जिले की बाबागंज सीट से भी उनका ही प्रत्याशी जीतता आया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी जानती है कि लाख ताकत लगाने के बाद भी इन दोनों सीटों पर राजा का ही उम्मीदवार जीतेगा. ऐसे में जरूरत पड़ने पर ये दोनों ही विधायक उनके काम आ सकते हैं. यही नहीं बीएसपी से बैर और वर्तमान में अखिलेश यादव से अदावत के बाद राजा भैया के पास भी कोई खास विकल्प बचा नहीं है. इसलिए वो कई बार दिल्ली में डेरा डाल बीजेपी के साथ 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कोशिश कर चुके थे. सफलता नहीं मिली तो अकेले ही 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था. लेकिन बीजेपी के प्रति अपने तेवर नर्म ही रखे हुए हैं.
हिंदुत्व का चेहरा राजा को लाता है भाजपा के करीब
कुंडा से 6 बार निर्दलीय विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह का राम मंदिर निर्माण को लेकर हमेशा ही योगी सरकार और बीजेपी की तारीफ करते देखे गये हैं. यही नहीं कई बार उनको और उनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह को एक विशेष अल्पसंख्यकों की खिलाफत करते देखा गया है. यही वजह है कि मुहर्रम के अवसर पर दोनों को ही प्रशासन नजरबंद कर देता है. ये एक बड़ा कारण है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहने के बावजूद दशकों से राजाभैया बीजेपी के लाडले बने रहे हैं, राजनीतिक विशेषज्ञ राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि राजा भले ही निर्दलीय विधायक चुने जा रहे हों, लेकिन हमेशा वो बड़ी भूमिका निभाते आते रहे हैं. दशकों से जीतने भी निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे हों, जिसमें जितेंद्र जायसवाल पप्पू हों या महेश त्रिवेदी हों ये हमेशा राजा भैया के झंड़े तले ही खड़े दिखते थे. जिससे उनके पास संख्या बल रहा है. दूसरा, उनकी छवि हिंदू वादी नेता की रही है. राम मंदिर का मामला हो या फिर कानून व्यवस्था तमाम मुद्दों पर राजा योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते दिखे हैं.