लखनऊ : राजधानी को स्मार्ट सिटी घोषित किए हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद तमाम तरह की समस्याएं आ रही हैं. तमाम इलाकों में खुले में बिजली के तार व अतिक्रमण शहर के स्मार्ट सिटी बनने पर दाग लगा रहे हैं. कई अन्य तरह की समस्याएं भी राजधानीवासियों को हो रही हैं. यही नहीं राजधानी लखनऊ में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट सुस्ती की मार झेल रहा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत लखनऊ को साफ सुथरा, हरा भरा बनाने और स्वच्छ भारत मिशन को भी धरातल पर उतारना था, लेकिन अफसरों की सुस्ती के चलते कुछ भी काम तेजी से नहीं हो पा रहा है. स्मार्ट सिटी में कामकाज की सुस्त रफ्तार को लेकर शासन भी लखनऊ के अफसरों से नाराज है. प्रमुख सचिव नगर विकास की तरफ से अधिकारियों को भी फटकार लगाई गई है कि आखिर स्मार्ट सिटी के काम तेजी से आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहे हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आते ही देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में चिन्हित किया था. लखनऊ भी उन स्मार्ट सिटी में शामिल एक शहर था, लेकिन नौ साल बाद भी लखनऊ में कई जगहों पर स्थिति जस की तस है.
चौंकाने वाली बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत कोई भी एक काम अफसरों के पास बताने के लिए नहीं है जो पूरी तरह से धरातल पर उतर चुका हो. अधिकारी अब यह दावा जरूर करते हैं कि जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत विकास कार्य या परियोजनाएं हैं उन्हें तेजी से धरातल पर उतारने का काम चल रहा है. लखनऊ में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत सीवर लाइन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पार्कों को विधिवत सुंदरीकरण, स्ट्रीट लाइट, वाईफाई जैसी सुविधाओं से लैस करना था. सड़कों के ऊपर खड़े पोल के तार भी भूमिगत किए जाने थे, जिससे लखनऊ पूरी तरह से स्मार्ट नजर आए, लेकिन यह सब सिर्फ कागजी खानापूर्ति तक ही आज भी सीमित है. यूपी की राजधानी के हजरतगंज जैसे इलाके में बिजली के तार और टेलीफोन एक्सचेंज सहित अन्य केबल आदि सड़क पर बेतरतीब फैले हुए नजर आते हैं.