लखनऊ : 22 मार्च का दिन लोगों के जेहन में आज भी ताजा है. इसी दिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जनता कर्फ्यू लगाया गया था. फिर 25 मार्च से पूरे देश में 45 दिनों तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया. यह लॉकडाउन कई मायनों में लोगों के लिए यादगार रहा क्योंकि इससे जहां कल-कारखाने समेत सब कुछ बंद हो गया, वहीं डेढ़ सौ सालों में पहली बार रेलवे को भी बंद करना पड़ा.
आज ही के दिन लगा था जनता कर्फ्यू , परेशानियों भरा रहा साल 2020 अब भी याद करते हैं लॉकडाउन के वह अनुभव
इस तरह के अनुभव लोगों की जिंदगी में पहली बार सामने आए. वह आज भी कोरोना के चलते लॉकडाउन के इन अनुभवों को याद करते हैं. लॉकडाउन में लोगों की जिंदगियों में बहुत से बदलाव आए. खाकी वर्दीधारी पुलिसकर्मी हो या स्वास्थ्यकर्मी, सबने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों के घरों तक खाना-राशन, यहां तक कि दवाइयां भी पहुंचाईं.
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जनता कर्फ्यू का दिन आज भी है लोगों को याद
22 मार्च को पूरे देश में कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू लगाया गया था. आज एक साल पूरे हो गए हैं लेकिन जनता कर्फ्यू से लेकर 45 दिन तक चलने वाले लॉकडाउन की यादें आज भी लोगों के जेहन में तरोताजा हैं. राजधानी लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता विनीता विश्वकर्मा बताती हैं कि उन्हें पूरी तरह से जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के वह दिन याद हैं जिसने उनकी जिंदगी में बहुत सारे बदलाव किए. कुछ अनुभव अच्छे हैं तो कुछ बुरे भी हैं. इस बीच में हमने बहुत कुछ सीखा, कुछ पाया तो बहुत कुछ खोया भी.
जनता कर्फ्यू से लॉकडाउन तक बदला था खाकी का रूप -
22 मार्च को कोरोना के चलते पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया. दो दिन बाद ही पूरे देश में 45 दिनों तक चलने वाला लॉकडाउन लगा दिया गया. किसी को यह पता नहीं था कि लॉकडाउन के वो दिन उनकी जिंदगी को इतना बदलाव लाएंगे. इस बीच कानून व्यवस्था के लिए बनाई गई खाकी एक नए रूप में दिखाई दी. भूखों से लेकर घरों तक राशन पहुंचाने तक और हर जरूरतमंद को दवाई पहुंचाने तक का कार्य पुलिस ने बिना किसी डर-भय के किया. वहीं, स्वास्थ्यकर्मी भी दूसरों के इलाज और सेवा के लिए पूरी तरह तत्पर दिखाई दिए.
राजधानी में 11 मार्च को मिला था कोविड-19 का पहला केस
राजधानी के गोमतीनगर में 11 मार्च को कोविड-19 का पहला केस सामने आया था. वहीं, घर के दो और सदस्य भी कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए थे. इस दौरान केजीएमयू में कोरोना के लिए टेस्ट लैब भी खोली गई थी लेकिन पहले लैब में केवल 70 जांच प्रतिदिन होने की क्षमता थी. इसे बढ़ाकर 7000 कर दिया गया.