लखनऊ:पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज करवाने में लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर लोग नीम हकीम के चक्कर में इस बीमारी को और अधिक घातक बना चुकने के बाद ही डॉक्टरों का रुख करते हैं. ऐसे में इस अंतरराष्ट्रीय पाइल्स दिवस के अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के सर्जरी विभाग में एक जन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने अपनी-अपनी शंकाओं से संबंधित सवाल पूछे.
कार्यक्रम में पाइल्स से बचाव की दी गई जानकारी. कार्यक्रम को करवाने वाले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अरशद अहमद ने बताया कि पाइल्स डे पर हमने एक जन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें हमने खुले दिल से लोगों को बुलाया है. उन्हें इस बात की जानकारी दी जा रही है कि वह किस तरह की भ्रांतियां को नजरअंदाज करें और कैसे उनके लक्षणों को पहचान कर सही समय पर अपना इलाज करवाएं.
इस कार्यक्रम के तहत तमाम तरह के विद्यार्थियों ने पोस्टर बनाए, जो सर्जरी विभाग में अलग-अलग जगहों पर चस्पा किए गए. जन जागरुकता कार्यक्रम के तहत तमाम ऐसे आम जनता से भी लोग उठकर आए, जो कभी न कभी बवासीर का शिकार रह चुके हैं या फिर किसी न किसी भ्रांति के चक्कर में फंस चुके हैं.
नागरिक आरपी सिंह ने बताया कि ज्यादातर आम जनता नीम हकीम के चक्कर में ऐसे इलाज करवा देती है, जो समस्या को बढ़ा देता है. इनमें से सबसे ज्यादा जरूरी है सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर लगे उन पोस्टर्स को हटाना, जिसमें अलग-अलग नामों से पाइल्स को ठीक करने का दावा किया जाता है और जनता को भड़काने की कोशिश की जाती है.
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जन जागरूकता कार्यक्रम के साथ-साथ सर्जरी विभाग में प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था, जिसमें मेडीकोज के साथ पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के विद्यार्थियों ने भी प्रतिभाग किया था और पोस्टर्स के माध्यम से पाइल्स पर तमाम तरह की जानकारियां साझा की गई। बाइट डॉ अरशद अहमद प्रोफेसर सर्जरी विभाग केजिएमयू बाइट- आरपी सिंह रामांशी मिश्रा