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मनोचिकित्सक बोले: अंधविश्वास के चक्कर में होती है घाटमपुर जैसी घटना - मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म

यूपी के कानपुर में 7 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हैवानियत के बाद हत्या कर लिवर खाने का मामला सामने आया था. इस मामले में चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. इस मामले में लखनऊ के एक मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री ने प्रतिक्रिया दी है.

मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री.
मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री.

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Published : Nov 17, 2020, 5:12 PM IST

लखनऊ:कानपुर के घाटमपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में दिवाली की रात दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी. कानपुर में दिवाली की रात हुई वारदात में पुलिस ने खुलासा किया है कि आरोपियों ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए न सिर्फ शराब के नशे में सात साल की मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, बल्कि बच्ची की गला काटकर निर्मम हत्या भी कर डाली. इतना ही नहीं हत्या के बाद मासूम के शव से अंग तक निकाल लिए. इसके बाद आरोपी युवकों के चाचा-चाची ने बच्ची का लिवर खा लिया. इस घटना पर लखनऊ के एक मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री ने प्रतिक्रिया दी है.


मनोचिकित्सक ने दी जानकारी
मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री ने बताया कि इस तरह की घटना बहुत ही निंदनीय है. इस घटना को अंजाम देने वाले लोग पहले से मानसिक रूप से विकृत रहे हैं. वहीं पहले हैवानों ने शराब पी उसके बाद उनकी मानसिक विकृति और बढ़ गई. शराब के नशे में उसकी मानसिक स्थिति का संतुलन बिगड़ जाता है. इसके बाद हैवानों ने इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया.

प्रतिक्रिया देते मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री.

तंत्र-मंत्र के बहकावे में आकर लोग देते हैं ऐसी घटनाओं को अंजाम
मनोचिकित्सक ने महिला द्वारा मासूम का लिवर खाने को लेकर बताया कि इस तरह की क्रिया अवसरवादी या तंत्र-मंत्र के बहकावे में आने वाले लोग ही कर सकते हैं. इस तरह किसी को मानसिक रूप से उकसाकर ऐसी क्रियाओं को करने के लिए उत्तेजित किया जाता है. ऐसे लोग अपने स्वार्थ को लेकर सब कुछ भूल कर मासूम बच्चों के लिवर खाने जैसी घटनाओं को भी अंजाम देते हैं.

ऐसे लोगों की होनी चाहिए काउंसलिंग
मनोचिकित्सक डॉ पीके खत्री ने बताया कि ऐसे लोगों की काउंसलिंग होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी वह अपने आप को बीमार नहीं समझते हैं. ऐसे लोगों को इलाज के लिए हॉस्पिटल जरूर ले जाया जाना चाहिए, जिससे उनका एक नियत समय के दौरान इलाज किया जा सके, जिससे उनकी मानसिक स्थिति में सुधार आ सके.

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