लखनऊ: पिछले कुछ दिनों से चल रहे घटनाक्रम को देखते हुए माना जा रहा है कि सपा मुखिया अखिलेश और चाचा शिवपाल की सियासी दोस्ती अब टूट सकती है. बीते सप्ताह समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में सपा के सिंबल पर चुनाव जीतने वाले प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को नहीं बुलाया गया था. तब से उनकी नाराजगी को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है शिवपाल सिंह यादव अब नया सियासी ठिकाना तलाश रहे हैं और वह अपने सियासी भविष्य पर मंथन कर रहे हैं.
सूत्रों का दावा है कि उनकी मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से दिल्ली में भी हुई है. वहीं 1 दिन पहले शिवपाल सिंह यादव की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात के भी तमाम तरह के मायने निकाले जा रहे हैं. शिवपाल सिंह यादव ने इस मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बताया था, लेकिन सपा और बीजेपी के खेमे में इसको लेकर सियासी हलचल मच गई थी.
सूत्रों के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव आने वाले कुछ समय में बीजेपी के साथ हो सकते हैं और इटावा की जसवंतनगर सीट से इस्तीफा देकर बीजेपी के सहयोग से अपनी पार्टी के टिकट पर उपचुनाव चुनाव जीत सकते हैं. इसके साथ ही अपने बेटे आदित्य को आजमगढ़ लोकसभा से उपचुनाव भी लड़ा सकते हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में क्या सियासी समीकरण बनते हैं और शिवपाल सिंह यादव कैसे अपना सियासी भविष्य तय करते हैं.
माना जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव की मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात के बाद सरकार की तरफ से उन्हें आवंटित लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर बड़ा बंगला बचा रहेगा. साथ ही सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दी है. इन सब चीजों को बचाए रखने के लिए भी शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें बधाई दी और अपना सियासी भविष्य सुरक्षित रखना चाहते हैं.