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बिजली विभाग के निजीकरण के लिए कर्मचारियों मे प्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार - Privatization of electricity department

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण का विद्युत कर्मचारी लगातार विरोध कर रहें हैं. निजीकरण के लिए कर्मचारी सीधे तौर पर प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं. कर्मचारियों का मानना है कि "पावर सेक्टर में आइएएस की कोई जरूरत नहीं है."

protest against privatisation of electricity
बिजली विभाग का निजीकरण

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Published : Mar 16, 2021, 8:59 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश का ऊर्जा विभाग निजीकरण के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है. इससे विभाग में काम करने वाले कर्मचारी नाराज हैं. निजीकरण के लिए कर्मचारी सीधे तौर पर प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं. कर्मचारियों का मानना है कि पावर सेक्टर में आइएएस की कोई जरूरत नहीं है. प्रबंधन का मुखिया आइएएस अधिकारी न होकर ऊर्जा विभाग का ही कोई अधिकारी हो, तभी विभाग को बचाया जा सकता है.

अभियंता संघ ने भी छेड़ रखी है मुहिम

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का मुखिया तो प्रशासनिक अधिकारी होता ही है, साथ में इसके अंतर्गत आने वाले डिस्कॉम के मुखिया की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारी ही निभाते हैं. चाहे फिर मध्यांचल हो, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल या फिर पूर्वांचल के साथ ही केस्को. इन सभी में आइएएस तैनात हैं. ऐसा बहुत कम ही बार हुआ है जब बिजली विभाग के किसी अधिकारी को प्रोन्नत कर एमडी बनाया गया हो.

बिजली विभाग के कर्मचारियों को लग रहा है कि विभाग का मुखिया आइएएस अधिकारी के होने का खामियाजा विभाग को ही भुगतना पड़ता है. अगर विभागीय अधिकारी सीनियर स्तर पर तैनात किए जाए तो इससे विभाग का भला होगा. वह अधिकारी विभाग के हित के बारे में सोचेगा. निचले स्तर से ऊपरी स्तर तक प्रमोशन के दौरान उसे विभाग का पूरा अनुभव होता है, लेकिन आइएएस अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं. वह सिर्फ जितने दिन विभाग में तैनात रहते हैं उतने दिन अपनी नौकरी ही चलाते हैं. विभागीय हित में कुछ नहीं करते हैं."

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