लखनऊः यूपी की जेलों में कैदियों के बनाये जाने वाले प्रोडक्ट अब देश-विदेश की बाजारों में बिकेंगे. इसके लिए जेल विभाग जेलों में बनने वाले उत्पादों को एमएसएमई से जोड़ने जा रहा है. ऐसा करने के बाद बंदी जिस उत्पाद का निर्माण करेंगे, उसे हर बाजार तक पहुंचाया जाएगा. जिससे उनकी कमाई भी हो सकेगी. जेलों में बंद कैदी अलग-अलग विधाओं में महिर हैं. कोई पेटिंग तो कोई नक्काशी बनाने में माहिर है.
डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि राज्य की सभी 75 जेलों में निरुद्ध बंदी कई तरह के उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं. जिन्हें उस स्तर तक नहीं पहुंचाया जा सका है. जिस स्तर के उत्पाद निर्मित किये जाते हैं. उन्होंने बताया इसके लिए वो जेलों में बनने वाले उत्पादों की मार्केटिंग के लिए एमएसएमई से जोड़ने पर योजना बना रहे हैं. साथ ही उन्हें देश-विदेश की बाजार तक पहुंचाने के लिए एक जिला एक उत्पाद (ODOP) में भी सूचीबद्ध कराने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
डीजी जेल के मुताबिक जेल में बंदियों को स्वालंबी बनाने और उनका ध्यान अपराध से हटाने के लिए उनकी प्रतिभाओं के आधार पर कार्य में लगाया जाता है. इसी के चलते वो कई तरह के उत्पादों का निर्माण करते हैं. आनंद कुमार बताते हैं कि वाराणसी जेल में साड़ियां और स्टील के उत्पादों का निर्माण होता है. वहीं फर्रुखाबाद जेल में टेंट और बैग बनाये जाते हैं. मिर्जापुर में कालीन तो मेरठ में खेल सामग्री का निर्माण कैदी करते हैं. आगरा जेल में बंदी कार्पेट और जूतों का निर्माण करते हैं. हालांकि ये उत्पाद सिर्फ आर्डर के आधार पर ही बनते हैं, लेकिन एमएसएमई और ओडीओपी से जुड़ने के बाद लगातार इनका निर्माण होगा. जिससे कैदियों की आय बढ़ेगी.