लखनऊ: जिले में बारावफात के मौके पर अमीनाबाद से जुलूस-ए-मदेसहाबा और चौक स्थित दरगाह शाहमीन शाह से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया, जिसमें शहर भर की अंजुमनें झंडे और बैनर के साथ जुलूस में शामिल होकर नात पढ़ती हुई चल रही थीं. जुलूस के रास्तों में सबीलों का भी इंतजाम था. जुलूस का नेतृत्व कर रहे धर्मगुरु मौलाना अलीम फारूकी ने बताया कि रसूल दोनों जहान के लिए रहमत बनकर आए थे. साथ ही उन्होंने इंसानों को मिल-जुलकर साथ रहने का पैगाम दिया था.
बारावफात पर निकाला गया जुलूस
- पैगंबर मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश के मौके पर अदब और एहतराम के साथ जुलूस-ए-मदेहसहाबा और जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया.
- जुलूस-ए-मोहम्मदी में हजारों की संख्या में लोगों ने शिरकत की.
- जुलूस का नेतृत्व कर रहे धर्मगुरु मौलाना अलीम फारूकी ने बताया कि रसूल दोनों जहान के लिए रहमत बनकर आए थे.
- मौलाना ने कहा कि रसूल ने हमेशा इंसानियत का पाठ पढ़ाया और इल्म हासिल करने को कहा.
- मौलाना ने सिरात-ए-रसूल पर रोशनी डालते हुए बताया कि उनके बताए हुए रास्तों पर अमल करना चाहिए.
- उन्होंने कहा कि 1998-99 के मोहयदे के मुताबिक़ जुलूसृ-ए-मदेहसाहबा निकाला जा रहा है.