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लखनऊ: बैंकों के विलय से कर्मचारियों समेत उपभोक्ताओं की बढ़ेंगी समस्याएं

विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय के बाद प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान ने बताया कि यह सरकार सभी को परेशान कर रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे बैंक कर्मचारियों को काफी दिक्कतें होंगी और भविष्य में नौकरियों को लेकर भी समस्या होगी.

बैंकों के विलय पर बोले प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान.

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Published : Apr 1, 2019, 10:14 PM IST

लखनऊ: एसबीआई बैंक की मुख्य शाखा में सोमवार को अनिल तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्णय से विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का आपस में विलय कर दिया गया. इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक ने इन बैंकों को अपनी शाखाओं और कार्यालयों के सामने संबंध बैंक ऑफ बड़ौदा का साइन बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं.

बैंकों के विलय पर बोले प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान.

बता दें कि अभी यह तीन बैंक अपना कामकाज पहले की तरह करते रहेंगे. इनकी किसी भी शाखा को बंद नहीं किया जाएगा और न ही बैंक की पासबुक को बदला जाएगा. जिन बैंकों का जैसे कार्य चल रहा था अभी फिलहाल वैसे ही चलता रहेगा. वहीं दूसरी तरफ बैंकों के विलय से बैंकों और समाज को भी क्षति पहुंचना तय है. इसका सीधा असर देश के मध्यम वर्ग की जनता पर पड़ेगा.

प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान ने बताया कि सरकार सभी को परेशान कर रही है. सरकार का सिर्फ एक ही मत है कि किसी भी तरह से हम 2019 का चुनाव जीते. इस तरह से केंद्र सरकार की कार्यशैली से हम सभी बैंक कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और आने वाले भविष्य में नौकरियों में भी काफी समस्याएं होंगी.

उन्होंने कहा कि आईबी अप्लाई कमेटी की संस्तुतियों पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि बैंक अधिकारियों का वेतन सिविल सर्विसेज ऑफिसर के समान होना चाहिए. वित्त मंत्रालय ने 12 जनवरी 2016 को आईबीए को निर्देश दिए थे कि बैंकों में वेतन समझौते पर शीघ्र वार्ता कर इसे 1 नवंबर 2017 से लागू किया जाए, लेकिन अभी तक इस पर किसी भी तरह का निर्णय नहीं लिया गया है.

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