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राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में छात्रावास आवंटन को लेकर समस्याएं बढ़ी

कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए शासन की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके तहत शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए कमरे में भीड़ न करने के साथ ही छात्रावास में एक से अधिक छात्रों को नहीं रखा जा सकता. इसी के चलते विद्यार्थियों को परेशानी भी उठानी पड़ रही है.

राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में छात्रावास आवंटन में समस्याएं
राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में छात्रावास आवंटन में समस्याएं

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Published : Jan 7, 2021, 7:59 AM IST

लखनऊः पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए छात्रावास के आवंटन की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. आपको बता दें कि कोरोना महामारी को देखते हुए शासन की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए थे कि शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए पढ़ाई कर रहे छात्रों को छात्रावास में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए कमरे अलॉट किए जाएं. जिसके चलते अब पढ़ाई कर रहे छात्रों को पहले की तरह छात्रावास आवंटित नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते छात्रों के लिए समस्या बढ़ती जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए शासन की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके तहत शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए कमरे में भीड़ न करने के साथ ही छात्रावास में एक से अधिक छात्रों को नहीं रखा जा सकता. इसी के चलते विद्यार्थियों को परेशानी भी उठानी पड़ रही है. राजकीय पॉलिटेक्निक में 90 फीसदी बच्चे बाहर से आते हैं और सभी छात्रावास में रहते हैं.

कोरोना के चलते सभी को छात्रावास आवंटित करना मुश्किल है. ऐसे में विद्यार्थियों को भटकना पड़ता है. राजकीय महिला पॉलिटेक्निक में भी यही दिक्कत है. राजकीय महिला पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य संजय कुमार श्रीवास्तव ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के बताए नियमों के तहत की छात्राओं को छात्रावास आवंटन किया जा रहा है. ऐसे में सभी छात्रों को छात्रावास दे पाना संभव नहीं है. सुरक्षा कारणों से ऐसा किया जा रहा है.

उनका कहना था कि यह समस्या कोविड-19 के चलते छात्राओं को उठानी पड़ रही है, अगर कोरोना महामारी की समस्या नहीं होती तो हमारे पास छात्राओं के लिए पर्याप्त कमरों की व्यवस्थाएं है. हालांकि कोविड के चलते छात्राओं को फिलहाल अभी समस्याएं जरूर उठानी पड़ गई हैं, लेकिन ज्यादातर अगर छात्राओं की बात करें तो वह ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं.

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