लखनऊ : एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए पोस्टमार्टम (शव विच्छेदन) की पढ़ाई करने में समस्या होती थी. क्योंकि, प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों में पोस्टमार्टम के लिए शव नहीं प्राप्त होता था. यह शिक्षा एमबीबीएस के स्टूडेंट नहीं प्राप्त कर पा रहे थे और अब जल्दी एमबीबीएस स्टूडेंट्स की यह समस्या दूर होने को है. प्रदेश में नवनिर्मित आठ आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस जल्द ही शुरू होंगे. इन्हें शुरू करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सकों समेत 112 कर्मियों के पद भी सृजित कर दिए गए हैं. एक पोस्टमार्टम हाउस में दो चिकित्सक समेत 14 स्वास्थ्य कर्मियों का स्टाफ होगा. इनके संचालन से शव विच्छेदन के साथ ही एमबीबीएस छात्रों को भी पढ़ाई का मौका मिलेगा.
दरअसल, असामयिक मृत्यु के कारण की पड़ताल के लिए हर जिले में पोस्टमार्टम हाउस संचालित हो रहे हैं. जिन जिलों में पुराने मेडिकल कॉलेज मौजूद हैं, वहां मेडिकल कॉलेज परिसर में ही पोस्टमार्टम हाउस हैं, लेकिन जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, वहां पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन पृथक परिसर में पोस्टमार्टम हाउस संचालित हो रहे हैं. वर्तमान में हर जिले में मेडिकल कॉलेज शुरू किए जा रहे हैं, इसलिए आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस भी स्थापित किए जा रहे हैं. लखनऊ व कानपुर नगर जैसे जिलों में हर मेडिकल कॉलेज में पृथक पोस्टमार्टम हाउस स्थापित किए जा रहे हैं. इसी क्रम में कानपुर नगर, प्रयागराज, फतेहपुर, शाहजहांपुर, मिर्जापुर, हाथरस, जौनपुर और लखनऊ में नव स्थापित पोस्टमार्टम हाउस के लिए पृथक रूप से पद सृजित कर दिए गए हैं. आधा दर्जन अन्य जिलों में निर्माणाधीन पोस्टमार्टम हाउस का कार्य पूरा होते ही पद सृजित होने की संभावना है, क्योंकि प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जबकि 61 जिलों में पद पूर्व में सृजित किए जा चुके हैं.
पढ़ाई के लिए जरूरी है पोस्टमार्टम हाउस :एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए द्वितीय वर्ष के छात्रों को मृत शरीर के पोस्टमार्टम के दौरान प्रायोगिक शिक्षा दी जाती है. ऐसे में हर मेडिकल कॉलेज में अपना पोस्टमार्टम हाउस होना अनिवार्य है. पढ़ाई के लिए व्यवस्थित पोस्टमार्टम हाउस होना चाहिए, इसलिए हर जिले में मेडिकल कॉलेज योजना तहत आधुनिक पोस्टमार्टम स्थापित किए जा रहे हैं.