लखनऊ : छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University) कानपुर के कुलपति प्रो विनय पाठक के किए गए काले कारनामों की परत धीरे-धीरे खुल रही है. कमीशनखोरी के मामले में जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने एकेटीयू में दो अयोग्य संविदाकर्मियों की भर्ती में विनय पाठक की भूमिका संदिग्ध पाई है. ऐसे में एसटीएफ की एक टीम एक बार फिर एकेटीयू पहुंची और कर्मचारियों व अधिकारियों से पूछताछ की है. एसटीएफ का मानना है कि पाठक ने नियुक्तियों के अलावा और भी खेल किए हैं.
एसटीएफ के मुताबिक, एकेटीयू में संविदाकर्मियों की नियुक्ति करने में दो कंपनियों की भूमिका संदिग्ध रही है. इन दोनों ही कंपनियों ने कुल पांच विश्वविद्यालयों में संविदाकर्मियों की नियुक्ति की थी. जांच में सामने आया है कि एकेटीयू में कुछ ऐसे लोगों की संविदा में भर्ती की गई थी, जिनके पास आवश्यक प्रमाण पत्र नहीं थे. बावजूद इसके योग्य अभ्यर्थियों के होते भी अयोग्य लोगों की असिस्टेंट प्रोफेसर, असिस्टेंट रजिस्ट्रार और सर्विस प्रोवाइडर के पद पर भर्ती कर दी गई.
इस अनियमितता की जानकारी लगते ही शनिवार शाम एसटीएफ की एक टीम एकेटीयू और एक टीम कानपुर विश्वविद्यालय पहुंची, जहां विश्वविद्यालय के एक दर्जन कर्मचारियों से पूछताछ की है. एसटीएफ के एक अधिकारी के मुताबिक, पूछताछ में नियुक्तियों के खेल के अलावा कई अन्य मामलों की भी जानकारी हाथ लगी है. आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि से भी ऐसे साक्ष्य हाथ लगे हैं.
दरअसल, आंबेडकर यूनिवर्सिटी में परीक्षा का काम करने वाली एजेंसी डिजिटेक्स टेक्नोलाॅजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर डेविड मारियो डेनिस ने लखनऊ के इंदिरानगर थाने में FIR दर्ज कराई थी. उन्होंने प्रो. विनय पाठक के अलावा XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा को भी नामजद किया. आरोप था कि डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते हुए प्रो विनय पाठक ने पीड़ित से 15% कमीशन वसूले थे. इस मामले में एसटीएफ अजय मिश्रा व कारोबारी अजय जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
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