लखनऊ:आने वाले समय में सामाजिक न्याय, संविधान और दलित छात्रों की छात्रवृत्ति बचाने और दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी. प्रत्येक गांव में अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकर्ता बनाए जाएंगे. दलित समुदाय सरकार के खिलाफ लगातार विरोध के स्वर बुलंद कर रहा है. हाथरस की घटना के बाद भी योगी सरकार कोई सुधार करने के बजाय पीड़ितों पर अत्याचार करने में जुटी है. उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर रही है. कांग्रेस दलित समुदाय के साथ है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग की तरफ से आयोजित ‘दलित महापंचायत’ को वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ये विचार व्यक्त किए. दलितों के मुद्दे पर उन्होंने योगी सरकार पर जमकर प्रहार किया.
लोगों के साथ खड़े होकर बुलंद करें आवाज
वीडियो कॉन्फ्रेंस में प्रियंका गांधी ने कानपुर के मंगटा गांव, ललितपुर और आजमगढ़ में दलितों पर हुए अत्याचार, उत्पीड़न का जिक्र किया. कहा कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन आलोक प्रसाद को इसी वजह से जेल में डाला गया. कार्यकर्ताओं से कहा कि आपके सामने बड़ी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है. आप लोगों के साथ खड़े होकर अपनी आवाज बुलंद कीजिए. प्रियंका ने कहा कि वह अंबेडकर छात्रावास के छात्रों से बात कर रही थीं, छात्र आहत और दुखी हैं. क्योंकि सरकार उनके छात्रावासों को बन्द कर देना चाहती है. आप सब मिलकर ऐसा निर्णय लें कि आपका समुदाय आगे बढ़े.
हर जगह हो रहा दलितों पर अत्याचार
अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन आलोक प्रसाद ने कहा कि यूपी में कोई भी जिला ऐसा बाकी नहीं रहा, जहां दलितों को प्रताड़ित कर उत्पीड़न न किया जा रहा हो. घरों और जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है. दलित महापंचायत का मुख्य लक्ष्य सोई हुई योगी सरकार को नींद से जगाना है. दलितों पर हो रहे अत्यधिक अत्याचार उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है. हम सड़कों पर आन्दोलित रहेंगे, जब तक दलित उत्पीड़न बन्द नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि दलितों पर होने वाले अत्याचार, उत्पीड़न के खिलाफ हमें जोरदार तरीके से अपनी आवाज बुलंद करनी है.
दलितों की लड़ाई लड़ने सड़क पर उतरते हैं राहुल, प्रियंका
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति विभाग के यूपी प्रभारी प्रदीप नरवाल ने कहा कि दलितों के उत्पीड़न पर सबसे पहले सड़कों पर राहुल और प्रियंका आते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए लाठी, डण्डा खाते हैं. उनका मुख्य मकसद गरीब समाज के साथ खड़ा होना और न्याय दिलाना है. विभिन्न जनपदों में हुई दलितों के साथ अन्याय और अत्याचार की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि चाहे समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी, यह दल सिर्फ दलित वोट के लिए ही राजनीति करते हैं. दलितों का वोट तो चाहते हैं, लेकिन उनके अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ते हैं. सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर संविधान बचाने का संकल्प लेना होगा.
मुखर हो उठाएंगे दलितों की आवाज
अनुसूचित जाति विभाग के उपाध्यक्ष तनुज पुनिया ने कहा कि संविधान एक विचारधारा है. जिस पर इस देश को चलना है. कांग्रेस पार्टी संविधान का सदैव सम्मान करती रही है, लेकिन मौजूदा तानाशाह भाजपा सरकार संविधान को खत्म करने पर अमादा है. हम सभी लोगों को दलितों के अधिकार दिलाने और उनके विरुद्ध हो रहे अत्याचार, अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाना है.
इसलिए आयोजित हुई दलित महापंचायत
तकरीब एक माह पहले विधान भवन के सामने एक महिला ने आग लगाकर आत्मदाह कर ली थी. इसके लिए पुलिस ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित विभाग के चेयरमैन आलोक प्रसाद को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी गिरफ्तारी कर ली थी. काफी दिनों तक वे जेल में रहे, लेकिन उनके लिए कांग्रेस पार्टी ने सड़कों पर उतरने का प्लान बनाया. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि अगर आलोक प्रसाद की जल्द रिहाई नहीं हुई तो चार दिसंबर को दलित महापंचायत का आयोजन किया जाएगा और इसके बाद प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. हालांकि इससे पहले ही सरकार ने अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन आलोक प्रसाद को रिहा कर दिया. कांग्रेस पार्टी की तरफ से चार दिसंबर को मुख्यालय पर फिर भी दलित महापंचायत का आयोजन किया गया.
सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं
कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित दलित महापंचायत में प्रदेशभर से पदाधिकारियों के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता लखनऊ स्थित कांग्रेस कार्यालय पहुंचे. इस दौरान सभागार में जो दलित महापंचायत चल रही थी, उसमें कहीं से भी सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल नहीं रखा गया. यहां पर आए कार्यकर्ताओं को सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करते नहीं देखा गया. साथ ही तमाम ऐसे कार्यकर्ता भी मौजूद थे जो मास्क तक नहीं लगाए थे. इतना ही नहीं कुछ का तो यहां तक कहना था कि कोरोना जैसी कोई चीज है ही नहीं, तो फिर मास्क की क्या जरूरत है. हालांकि कांग्रेस के नेताओं से इस बारे में पूछा गया तो कुछ भी बोलने से कटने लगे. फिलहाल जिस तरह की भीड़ जुटी और सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ा, उससे कांग्रेसियों में कोरोना का डर बिल्कुल खत्म होता नजर आया.