लखनऊः कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने शनिवार से वर्चुअल अभियान की शुरुआत की. उन्होंने इस दौरान कहा कि कांग्रेस ने कोविड की वजह से अपनी रैलियां कैंसिल कर दी हैं. तय किया है कि हम फेसबुक लाइव के जरिये बात करें. मेरी कोशिश रहेगी कि हम लगातार आपसे जुड़ें और अनौपचारिक रूप से बातचीत करें. वर्तमान में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न मुझे बहुत पसंद हैं. वह महिला हैं, बहुत मजबूत हैं, जनता से अच्छी तरह जुड़तीं हैं. वह बहुत नेचुरल रहती हैं. मेरी दादी इंदिरा गांधी भी मेरी प्रेरणा हैं. मैं उनसे भी प्रभावित हूं.
इंदिरा गांधी को याद करते हुए प्रियंका ने कहा कि इंदिरा गांधी एक सभा में भाषण दे रही थीं तभी पथराव हो गया. उन्हें एक पत्थर नाक पर लगा. खास बात ये है कि वे पीछे नहीं हटीं. फिर से खड़ी हुईं, भाषण पूरा किया. इंदिरा गांधी साहस की मिसाल थीं.
उन्होंने हमेशा सही निर्णय लिया. वह आयरन लेडी थीं, लेकिन उतनी ही मजाकिया थीं. हमारे साथ खेलती थीं, साथ ही उनमें धैर्य, निडरता और वीरता थी. वह महिला सशक्तिकरण की भी मिसाल हैं. मैं बार-बार कहती हूं कि अगर आपको महिलाओं को सशक्त बनाना है तो ये एक गैस सिलेंडर वाली प्रथा बंद होनी चाहिए. उन्हें रोजगार, शिक्षा, सेहत, सुरक्षा कैसी मिल रही है.
हमने अपने शक्ति विधान में महिलाओं के लिए काफी कुछ लिखा है कि हम उनके लिए क्या करना चाहते हैं? दूसरा ये है कि हमारा सशक्तिकरण कैसे होगा? हमसे कहा जाता है कि सहने की आदत बना लो. उन्होंने कहा कि ये सही है कि हम महिलाओं में सहने की शक्ति है, लेकिन महिलाओं को अपनी शक्ति पहचाननी होगी. महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ना होगा.
वर्चुअल अभियान में जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि उन्नाव की पीड़िता का केस वहां पर दर्ज नहीं हुआ. उसका केस रायबरेली में दर्ज हुआ. वह खुद ट्रेन लेकर रायबरेली जातीं थी. उसकी मदद कर रही थी उसकी भाभी. अन्याय के खिलाफ सारी लड़ाइयां महिलाएं लड़ रही हैं.
अत्याचार के खिलाफ लड़ रही पीड़िताओं से प्रेरणा लेकर ही ये ये नारा निकला है कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'.महिलाएं बहुत बड़ी फोर्स हैं. अगर ये फोर्स एकजुट हो जाए तो परिवर्तन निश्चित है. दरअसल, महिलाओं के लिए 40 प्रतिशत आरक्षण सही भागीदारी नहीं है. सही है कि ये हिस्सेदारी 50 फीसदी होनी चाहिए.