लखनऊ: कोरोना वायरस के बीच प्राइवेट अस्पतालों को लेकर कई ऐसी खबरें सामने आईं, जिसमें यह देखा गया कि ऐसे अस्पताल इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं. सरकार भी इन अस्पतालों पर लगाम लगाने में नाकाम है. प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम रेट तय कर दिये हैं और मरीजों से जमकर वसूली की जा रही है.
केस वन
ठाकुरगंज निवासी 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को कोरोना हो गया. बेटे शुभम ने शहीद पथ स्थिति निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया. तीन दिन पहले भर्ती मरीज के इलाज के लिए काउंटर पर तीन लाख रुपये जमा कराए जा चुके हैं. शनिवार सुबह 10 बजे रिसेप्शन से पैसा जमा करने के लिए फोन फिर पहुंच चुका है.
केस टू
गोमती नगर स्थित निजी कोविड अस्पताल में निशातगंज निवासी 60 वर्षीय वृद्धा को लेकर परिवारीजन पहुंचे. गुरुवार को मरीज की शिफ्टिंग के समय ही डेढ़ लाख रुपये एडवांस जमा करवा लिए गए. बेटे मनीष के मुताबिक शाम तक 80 हजार और जमा करने का कहा गया है. मरीज की हालत अभी गंभीर बनी हुई है.
बता दें कि राजधानी में कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली के यह केस सिर्फ बानगी भर है. यहां सरकार ने आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू, वेंटीलेटर के रेट भले ही फिक्स कर रखें हों, लेकिन जांच, सर्विस, कंसल्टेंट फीस समेत आदि के नाम पर लूट जारी है. स्थिति यह है कि निजी कोविड अस्पताल लेवल-थ्री में सप्ताह भर में भर्ती के दौरान मरीज से पांच से सात लाख की वसूली हो रही है. वहीं किडनी, हार्ट आदि की दिक्कत पर मनमाना चार्ज भी लिया जा रहा है.
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महामारी एक्ट में कार्रवाई का आदेश
गत वर्ष 10 जुलाई को निजी अस्पताल में कोरोना के इलाज के रेट तय करने का आदेश जारी किया गया था. इसको लेकर सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को निर्देश भी दिया गया था. इसमें तय रेट से अधिक वसूली करने वालों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई का आदेश है. पिछले साल निजी अस्पतालों में वसूली की शिकायत पर छापेमारी भी गई थी, लेकिन कार्रवाई करने में अधिकारी विफल रहे.