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दुधवा टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन सम्मान, इन मानकों पर उतरा खरा

दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन (International Certification) से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन और साक्ष्यों के परीक्षण से पूर्णतया संतुष्ट होने पर ये प्रमाणन देने की घोषणा हुई है.

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Published : Jul 30, 2021, 10:22 PM IST

दुधवा टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय सम्मान
दुधवा टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय सम्मान

लखनऊ:उत्तर प्रदेश राज्य के दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन (International Certification) से अलंकृत किया गया है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि विश्व बाघ दिवस (world tiger day) 29 जुलाई के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित समारोह में यह सम्मान देश के 13 अन्य टाइगर रिजर्व सहित दुधवा टाइगर रिजर्व उत्तर प्रदेश को भी दिए जाने के संबंध में घोषणा हुई है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Minister Bhupendra Yadav) ने दिल्ली में जानकारी दी है.

यह अलंकरण विश्व स्तर पर बाघ संरक्षण (tiger conservation) अथवा लक्षित प्रजाति के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रबंधन के उच्चतम मापदंडों पर खरा उतरने वाले टाइगर रिजर्व, संरक्षित क्षेत्रों को ही दिया जाता है. संरक्षण के प्रयासों को मापने के लिए वैश्विक तौर पर स्वीकृत इस प्रमाणन से यह स्पष्ट होता है कि संबंधित संरक्षित क्षेत्र का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा रहा है. वर्ष 2013 में औपचारिक रूप से आरंभ हुई प्रमाणन की इस प्रक्रिया में बाह्य अभिकरणों एवं विशेषज्ञों द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तौर पर कई कसौटियों पर प्रबंधन का मूल्यांकन किया जाता है. इसमें साक्ष्यों का परीक्षण भी किए जाने की व्यवस्था है. पूर्णतया संतुष्ट होने पर ही सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है.

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दुधवा टाइगर रिजर्व को यह उपलब्धि बाघ संरक्षण के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयासों, जैव विविधता संरक्षण (biodiversity conservation), बाघ संरक्षण के साथ-साथ हितग्राहियों के आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक उन्नयन में योगदान, अंतर विभागीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सामान्य में उन्नत प्राकृतिक वास संवर्धन, प्रभावी परिवर्तन एवं शिकार रोधी प्रयासों, प्रबंधन तंत्र की पारदर्शिता, कुशलता एवं उत्तरदाई दृष्टिकोण, मानव-वन्य जीव नकारात्मक अंतरापृष्ठ संबंधी घटनाओं की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास, स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ समुचित सामंजस्य, सुदृढ़ अवसंरचनात्मक ढांचे की उपलब्धता, बेहतर पर्यटन अवसंरचना की उपलब्धता, प्रकृति व्याख्या के लिए किए जा रहे कार्य, वन और प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता आदि बिंदुओं के आधार पर मिली है.

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