लखनऊ. एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा का लखनऊ विश्वविद्यालय में भी लंबे समय से परीक्षा विभाग का काम कर रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय में परीक्षा और मार्कशीट से जुड़े कामों को करने वाली एक्सएलआईसीटी कंपनी पर कई बार उंगलियां उठ चुकी हैं. बीते तीन महीनों में जारी सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणामों को जारी करने में कंपनी की ओर से भारी अनियमितता की गई थी, जिसके बाद विवि प्रशासन ने परिणामों को वापस लेकर दोबारा संसोधित परिणाम जारी किया था. विवि सूत्रों का कहना है कि इन गड़बड़ियों को देखते हुए कंपनी (XLICT Company) पहले से ही हटाने की तैयारी कर चुकी है.
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर दर्ज हुई एफआईआर में लगे आरोपों पर कथित वसूली में बराबर के सहयोगी एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा का लखनऊ विश्वविद्यालय से भी पुराना नाता है. एकेटीयू में पिछले छह वर्षों से वह काम कर रहा था और लगभग इतने ही वर्षों से वह लखनऊ विश्वविद्यालय में भी काम कर रहा है. करोड़ों रुपए के पेमेंट वाली उसकी कंपनी पर कई बार सवाल उठे, लेकिन हर बार लखनऊ विश्वविद्यालय के ही जिम्मेदार गलती किसी और की बताकर बचा ले जाते. 2019 में ही ऐसा एक बड़ा मामला सामने आया था, जिसमें मार्कशीट और परीक्षा से जुड़ा पूरा काम देखने वाली एक्सएलआईसीटी कंपनी को आवंटित किए गए 15 से अधिक मार्कशीट जालसाजों के पास से मिली, यही नहीं कंपनी को जो ब्लू चार्ट दिए गए थे वह जालसाजों के पास से मिले, बाद में तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने यहां के निलंबित बाबू को जेल भी भेजा और कईयों पर चार्जशीट दाखिल करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति मांगी, लेकिन वह अनुमति कई महीनों तक लटकाए रखा गया.
यही नहीं मीडिया में दर्जनों बार खबरों के छपने के बाद भी लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच कर रही पुलिस को यह नहीं बताया कि कौन सी कंपनी उनके यहां परीक्षा का काम करती है. गोपनीय होने का बहाना बनाकर तत्कालीन कुलपति और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने पुलिस को महीनों इधर उधर घुमाया. यही नहीं कंपनी को प्रदेश के बाहर भी कुछ कुलपतियों ने काम दिलाकर उपकृत किया. हालांकि अब यह भी जांच का विषय है कि पिछले 6 वर्षों में गोपनीय काम का बहाना बनाकर किस तरह से बाहरी लोगों से काम कराया जाता था और विश्वविद्यालय के कर्मचारी खाली बैठे रहते थे.