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कोरोना तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक, राजधानी के अस्पतालों में क्या है तैयारी...

वैश्विक अभियान के तहत भारत में भी अब बच्चों पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया जा रहा है. राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में भी इसको लेकर तैयारी की जा रही हैं. वहीं बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि जब तक बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है तब तक लोग सावधानी बरतें. राजधानी के अस्पतालों में आवश्यकता के अनुसार पीडियाट्रिक तैनात किए जाएंगे.

कोरोना तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक
कोरोना तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक

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Published : Jun 21, 2021, 12:59 PM IST

लखनऊः कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में सरकार इस दिशा में काम कर रही है. छोटे बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल कराने का उद्देश्य देश में कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के पहले उन्हें टीकाकरण में शामिल किया जाना है. विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों की ओर से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा अधिक बताया जा रहा है.

वैश्विक अभियान के तहत भारत में भी अब बच्चों पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया जा रहा है. राजधानी के अस्पतालों में भी इसको लेकर तैयारी की जा रही हैं. वहीं बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि जब तक बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है तब तक लोग सावधानी बरतें. राजधानी के अस्पतालों में आवश्यकता के अनुसार पीडियाट्रिक तैनात किए जाएंगे.

42 बच्चे थे कोरोना से प्रभावित

लोहिया अस्पताल के डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि बच्चे बहुत सेंसटिव होते हैं. उन्हें इस बारें में जानकारी नहीं होती होती कि क्या सही है क्या गलत. माता-पिता को बच्चों की सेहत पर ध्यान देना होगा. कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल में लगभग 42 बच्चे ऐसे आए थे, जिन्हें कोरोना के लक्षण थे. बाकी बहुत बच्चे ऐसे आए थे, जिन्हें डायरिया की शिकायत थी. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के सेहत का ख्याल रखा जाए. वहीं केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण यूपी में किस स्तर पर है इसके लिए हाल ही सीरो सर्वे हुआ था. बच्चे भी अब इससे अछूते नहीं रह गए हैं.

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दूसरी जगह अवश्यकतानुसार तैनात होंगे पीडीएट्रिशियन

तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका के मद्देनजर जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने हाल ही में निजी चिकित्सालयों, मेडिकल कॉलेज व शासकीय चिकित्सालयों के पदाधिकारियों के साथ तैयारियों पर चर्चा की थी. सभी अस्पतालों में पीडिएट्रिक्स वॉर्ड (पीआईसीयू/एनआईसीयू) वेंटिलेटर बेड की व्यवस्था करने और स्टाफ को प्रशिक्षित करवाने के निर्देश दिए गए थे. प्रशिक्षण का जिम्मा एसजीपीजीआई और केजीएमयू को सौंपा गया है. सीएमओ को प्राइवेट और मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध पीडीएट्रिशियन को आवश्यकता अनुसार दूसरी जगह तैनात करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

इन अस्पतालों में इतने बेड़

- केजीएमयू में 100 बेड का पीडियाट्रिक वॉर्ड बन रहा. इसमें 50 बेड पीआईसीयू/एनआईसीयू और बाकी ऑक्सीजनयुक्त बेड होंगे.

- एसजीपीजीआई में 50 पीआईसीयू/एनआईसीयू बेड का पीडियाट्रिक वॉर्ड बन रहा है.

- आरएमएल में 50 बेड के पीडियाट्रिक वॉर्ड की व्यवस्था की जा रही है. इसमें 30 बेड पीआईसीयू/एनआईसीयू और 20 ऑक्सीजनयुक्त बेड होंगे.

- एरा मेडिकल कॉलेज में 100 बेड का पीडियाट्रिक वॉर्ड बनेगा. इसमें 30 पीआईसीयू/एनआईसीयू बेड होंगे.

- इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज में 50 बेड का पीडियाट्रिक वॉर्ड बनेगा. 25 बेड पीआईसीयू/एनआईसीयू और 25 ऑक्सीजनयुक्त बेड होंगे.

- टीएसएम हॉस्पिटल में 8 पीआईसीयू/एनआईसीयू बेड की व्यवस्था है. इसे बढ़ाकर 20 किया जाएगा. वहीं, 30 ऑक्सीजनयुक्त बेड का पीडियाट्रिक वॉर्ड बनाया जा रहा है.

- बलरामपुर अस्पताल में 50 बेड के पीडियाट्रिक वॉर्ड की व्यवस्था की जा रही है. इसमें 20 पीआईसीयू/एनआईसीयू और 30 ऑक्सीजनयुक्त बेड होंगे.

- लोकबंधु हॉस्पिटल में 100 बेड के पीडियाट्रिक एवं मेटरनिटी वॉर्ड की व्यवस्था हो गई है. इसमें 30 पीआईसीयू/एनआईसीयू बेड और 70 ऑक्सीजनयुक्त बेड हैं.

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