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लोहिया संस्थान की इमरजेंसी सेवाओं में सुधार की तैयारी - लोहिया में सुधार की तैयारी

लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की इमरजेंसी सेवाएं में सुधार की तैयारी शुरू हो गई हैं. इसके लिए सैफई मेडिकल कॉलेज के पूर्व कुलपति ब्रिगेडियर प्रभाकर सिंह के अध्यक्षता में गठित 3 सदस्य समिति ने इमरजेंसी सेवाओं में सुधार से संबंधित रिपोर्ट सौंपी है.

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डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान

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Published : Feb 14, 2021, 4:56 PM IST

लखनऊःडॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की इमरजेंसी सेवाएं में सुधार की तैयारी शुरू हो गई हैं. इसके लिए सैफई मेडिकल कॉलेज के पूर्व कुलपति ब्रिगेडियर प्रभाकर सिंह के अध्यक्षता में गठित 3 सदस्य समिति ने इमरजेंसी सेवाओं में सुधार से संबंधित रिपोर्ट सौंपी है.

लोहिया संस्थान की इमरजेंसी सेवा में सुधार

संसाधनों की कमी से जूझ रहा है संस्थान
संस्थान डॉ राम मनोहर लोहिया विज्ञान संस्थान संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. संस्थान की इमरजेंसी में कुल 54 बेड हैं. जो हमेशा फुल रहते हैं. संस्थान में कुल 154 फैकल्टी हैं, जिनके एक तिहाई से आधे तक प्रोफेसर सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं.

विवाद में अटकी हैं नियुक्तियां
संस्थान में 54 पद पर नियुक्तियां विवाद के चलते नहीं हो पा रही हैं. उनसे संबंधित वाद कोर्ट कचहरी में चल रही है. कोविड के चलते 200 बेड आरक्षित कर दिए गए थे. अब इन्हें वापस लेने और कमी करने की तैयारी की जा रही है. अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति और पदों की संख्या बढ़ाने के लिए संस्थान ने शासन को प्रस्ताव भेजा है.

काम का अधिक दबाव
संस्थान के निदेशक डॉक्टर एके सिंह बताते हैं कि इमरजेंसी सेवाएं देने वाले राजधानी में सिर्फ तीन संस्थान हैं. संस्थान के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी सेवाएं दी जा रही हैं. कोविड के चलते एसजीपीजीआई में इमरजेंसी सेवाएं लगभग ठप हो गई है. ऐसी स्थिति में लोहिया संस्थान पर दबाव बढ़ गया है.

लोहिया अस्पताल के विलय से बढ़ी मुश्किलें
संस्थान के निदेशक डॉक्टर एके सिंह कहते हैं कि लोहिया अस्पताल के संस्थान में विलय की मांग पर डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय को संस्थान को सौंप दिया गया था. चिकित्सालय के कुछ कर्मचारी संस्थान में कार्य भी कर रहे हैं. लेकिन दोनों की प्रकृति अलग है. इसका कोई लाभ संस्थान को नहीं मिला, बल्कि मुश्किलें जरूर बढ़ गई हैं.

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