हैदराबाद:यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बुंदेलखंड को साधने के मकसद से केंद्र की मोदी सरकार ने आम बजट में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के संयुक्त महत्वकांक्षी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के लिए 1400 करोड़ की राशि का आवंटन किया है. ऐसे मे इस प्रोजेक्ट के जल्द धरातल पर आने के आसार बढ़ गए हैं. हालांकि, इस प्रोजेक्ट के लिए कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी और अब बजट में भी इस प्रोजेक्ट के लिए 1400 करोड़ की राशि का आवंटन किया गया है. जानकारों की मानें तो ये प्रोजेक्ट बुंदेलखंड के विकास की नई इबारत लिखने में मील का पत्थर साबित होगा.
बता दें कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना से मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी जिलों को पानी मिलेगा. वहीं, यूपी के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों में बारहमासी सूखा प्रवण क्षेत्र और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 10.62 लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. इसके साथ ही यह परियोजना 62 लाख लोगों को पेयजल भी उपलब्ध कराएगी. इससे इस बात के संकेत मिल गए हैं कि बुंदेलखंड के एमपी और यूपी के 12 जिलों को पानी देने वाली 15 साल से अटकी केन-बेतवा लिंक परियोजना अब जल्द ही धरातल पर आकार लेने लगेगी.
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ये था विवाद
मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. जिसके कारण ये प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पा रहा था. इसमें वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 एमसीएम और खरीफ फसल के लिए 1153 एमसीएम पानी देना तय हो गया था. वर्ष 2018 में यूपी की मांग पर रबी फसल के लिए 700 एमसीएम पानी देने पर सहमति बनी, बाद में केंद्र सरकार ने यूपी को 788 एमसीएम पानी देना तय कर दिया था. मगर यूपी सरकार ने जुलाई 2019 में 930 एमसीएम पानी की मांग की, जिसे देने से एमपी सरकार ने असहमति जताई थी.
ऐसे सुलझा विवाद
केन-बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच का विवाद इसी साल 8 मार्च को विश्व जल दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सुलझा था. इसके बाद परियोजना के लिए (एमओए) मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी हुए थे. इस एमओए पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने हस्ताक्षर किए थे. इसके अनुसार करोड़ों रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि शेष 5-5 प्रतिशत हिस्सेदारी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकारें वहन करेंगी. इससे नान मानसून सीजन (नंवबर से अप्रैल के बीच) में मध्य प्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) व यूपी को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा.
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जानें कब हुआ था अनुबंध
इस परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों प्रदेशों के बीच अनुबंध हुआ था. तब मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन परियोजना का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार नहीं हुई थी. अब डीपीआर तैयार होने के बाद प्रोजेक्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद बजट भी आवंटित हो गया है. जिससे इस प्रोजेक्ट पर तेज गति से काम शुरू हो सकेगा.
एक नजर
- -परियोजना पर 44,605 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
- -8 वर्षों में पूरा किया जाएगा.
- -103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी.
- -2005 में हुआ था मप्र एवं यूपी के बीच अनुबंध
- -मप्र में बनेंगे सात बांध
- -10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित
- -62 लाख लोगों को उपलब्ध होगा पीने का पानी.
- -72 मेगावाट के दो बिजली प्रोजेक्ट भी बनाए जाएंगे.
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