लखनऊः छठ आते ही बाजारों में रंग-बिरंगे डलिया-दौरी के बाजार सज गए हैं. वहीं इसको लेकर धीरे-धीरे खरीदार बाजारों में पहुंचने लगे हैं. इस व्रत की शुरुआत नहाए खाए 18 नवंबर से शुरू हो गई है. वहीं आज 19 नवंबर को खरना का व्रत माताओं ने रखा है.
सूप और डलिया की लगी दुकानें. उत्तर प्रदेश की राजधानी सहित बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में इस पर्व का खासा महत्व होता है. दिवाली खत्म होते ही इस त्योहार की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो जाती है. इस महापर्व में पूजा संबंधी सामानों के बाजार लगने लगे हैं. वहीं सड़कों की पटरी के दोनों तरफ डालीगंज पुल पर पूरी तरह से बिहारी सूप, खाची, खचोली, दौरी, लखनऊ का सूप और रंग-बिरंगी डलियों का बाजार लग गया है. वहीं धीरे-धीरे इसकी खरीदारी को लेकर ग्राहक पहुंचने लगे हैं. इस बीच बाजारों में पूरी तरह से चहल-पहल देखने को मिल रही है.
छठ में सूप और डलिया का महत्व
बांस के बने सूप और डलिया का छठ पूजा में विशेष महत्व है. यह आस्था का प्रतीक माना जाता है. छठ पूजा के लिए डलिया को व्रती महिलाएं सजाती हैं. वहीं पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. सूप और डलिया के बिना छठ पूजा की कल्पना नहीं की जा सकती है, क्योंकि इनका एक अहम रोल होता है. सूप से घाट पर माताओं द्वारा अर्घ्य दिया जाता है, वहीं डलिया में छठ पूजा से संबंधित सामग्री और फल ले जाया जाता है.
दुकानदारों ने दी जानकारी
दुकानदार रघुनाथ ने बताया कि हम सूप और डलिया का व्यापार करीब 20 सालों से कर रहे हैं. हम लोग माल को देवरिया, बलिया, गोरखपुर जिले से मंगाते हैं, जिसको लखनऊ में 10 से 20 रुपये के फायदे पर बेच देते हैं. थोड़ी बहुत बिक्री होने लगी है. लॉकडाउन के दौरान बिक्री नहीं होती थी. संजय ने बताया कि इस बार छठ में पहले की अपेक्षा कम बिक्री हो रही है, बाजार मंदा है. डलिया और सूप की कीमत 40 से लेकर 80 रुपये तक है.