लखनऊ:ज्येष्ठ माह का पहला बड़ा मंगल आज यानी मंगलवार को है. पर इस बार ना तो राजधानी के हनुमान मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है और ना ही सड़कों पर लगने वाला भंडारा ही दिख रहा है. राजधानी का हनुमान सेतु मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है. मान्यता है कि यहां पर भक्त जो भी मन की मुराद मांगते हैं, बजरंगबली भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. पर इस बार कोरोना संक्रमण के कारण भक्तों की संख्या काफी कम है. लखनऊ नगर निगम की टीम मोबाइल भंडारे के जरिए लोगों तक प्रसाद पहुंचा रही है.
क्या कहते हैं पुजारी
हनुमान सेतु के महंत उमाशंकर मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 26 जनवरी 1967 को नीम करोली बाबा ने की थी. नीम करोली बाबा इस मंदिर को गवर्नर जनरल कहते थे. मंदिर के पुजारी का कहना है कि भक्तों की हर समस्या का समाधान बजरंगबली के दर्शन तिलक लगाने और प्रसाद खाने से होता है. यहां पर जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आया, बजरंगबली ने अपने भक्तों की हर मुराद पूरी की है. यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
1995 से शुरू हुआ भंडारा
मंदिर के पुजारी उमाशंकर मिश्रा ने बताया कि मंदिर के सचिव एस कपूर ने 1995 में भंडारे का शुभारंभ किया. जिसके बाद से लगातार राजधानी में भंडारों की संख्या बढ़ती गई. आज हिंदुस्तान ही नहीं, पूरे विश्व में इतने भंडारे नहीं होते जितना कि राजधानी लखनऊ में जेष्ठ माह में आयोजित किए जाते हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि जिसके चारों बड़े मंगल के साथ साथ 26 जनवरी जोकि मंदिर का स्थापना दिवस है, इसके साथ ही गुरु पूर्णिमा और हनुमान जयंती के अवसर पर भंडारे आयोजित किए जाते हैं. इसमें बड़ी संख्या में भक्त आकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. पुजारी ने बताया कि 1995 में जब भंडारे का शुभारंभ हुआ तो उस समय भंडारे में पूड़ी सब्जी का वितरण किया जाता था पर धीरे-धीरे राजधानी में भंडारों की संख्या बढ़ती गई. आज 2000 से अधिक भंडारे राजधानी लखनऊ में लगते हैं.