लखनऊ: सिख सेवक जत्थे की ओर से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी महाराज के प्रकाश उत्सव पर ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया. इसके साथ ही खालसा इण्टर कॉलेज के छात्र एवं गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज चारबाग की छात्राएं अपनी-अपनी वर्दी में बैण्ड बाजों से मधुर धुने बजाईं. उसके बाद फूलों से सजाए गए दीवान हाल में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश किया गया.
मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के प्रकाश पर्व पर ग्रन्थ साहिब की बाणी का व्याख्यान किया. उन्होंने बताया कि सन 1604 को पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज ने श्री हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज का पहली बार प्रकाश किया था. इस पवित्र ग्रंथ में गुरु साहिबान के अतिरिक्त सभी धर्म और जातियों के 15 भक्तों और 11 भट्टो के साथ-साथ 4 सिखों की वाणी दर्ज करके एक प्रभु की भक्ति करने का उपदेश दिया था. कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब यहियागंज को विशेष प्रकार की लाइट और फूलों से सजाया गया था. गुरमीत सिंह एवं वीर सिंह ने शबद कीर्तन प्रस्तुत किया गया. कथावाचक ज्ञानी जगजीत सिंह जाचक ने बताया कि, गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी में मुल्तानी, पंजाबी, हिन्दी, सिंधी, मराठी, व्रज, गुजराती, अरबी, फारसी भाषाओं का समावेश है.
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आपको बता दें कि आदि ग्रंथ सिख समुदाय का प्रमुख धर्म ग्रंथ है. इन्हें गुरु ग्रंथ साहिब जी कहते हैं. गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पूजनीय पवित्र ग्रंथ है. अमृतसर के हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में 27 अगस्त 1604 को गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना की गई थी. अमृतसर में पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जन देव जी द्वारा पवित्र आदि ग्रंथ का पहला ‘प्रकाश’ आरम्भ किया गया था. उसी दिन से सिख समुदाय लगातार प्रकाश उत्सव को मनाते आ रहा हैं. बता दें कि गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 1430 पृष्ठ हैं.