लखनऊ:केंद्र सरकार ने मरीजों को सस्ती दवा मुहैया कराने का फैसला किया था. इसके लिए देशभर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (pradhanmantri janaushadhi kendra) खोले गए थे. वहीं यूपी की राजधानी में ही इस योजना को झटका लग रहा है. यहां के अस्पतालों में खोले गए केंद्र बंद पड़े हैं. ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं.
राज्य में करीब 1100 जेनरिक मेडिकल स्टोर (जन औषधि केंद्र) हैं. यह सरकारी अस्पताल व निजी क्षेत्रों में संचालित हैं. इनमें से 126 जन औषधि केंद्र सरकारी अस्पतालों में हैं. इसके संचालन लिए सरकार ने चार वेंडर तय किए हैं. इन्हें राज्य के अलग-अलग जोन में जन औषधि केंद्र संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि लखनऊ में ही मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है. यहां के लोहिया संयुक्त चिकित्सालय समेत अन्य अस्पतालों में जन औषधि केंद्र बंद पड़े हैं.
राजधानी में 102 जन औषधि केंद्र खोले गए. इनमें से 12 सरकारी अस्पतालों में खुले थे. सरकारी अस्पतालों में औषधि केंद्रों के संचालन के लिए सरकार ने निजी वेंडर से करार किया है. पहले दवा उपलब्धता की समस्या समेत कई शिकायतों के कारण वेंडर से करार निरस्त कर दिया गया था. वहीं जब वेंडर व सरकार के बीच का मसला सुलटा, तो ड्रग लाइसेंस निरस्त होने से सरकारी अस्पतालों की दुकानों में ताला लगा हुआ है. गत दिसंबर से शासन-वेंडर के बीच चल रही उठा-पटक में मरीज पिस रहे हैं. उन्हें सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है. कोरोना कम होने पर बीच में स्टोर खुले, इसके बाद फिर बंद होने लगे.