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सरकारी सस्ती दवा की दुकानों पर लगा ताला, भटक रहे मरीज

राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में खोले गए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (pradhanmantri janaushadhi kendra) बंद पड़े हैं. ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. सरकारी सस्ती दवा की दुकानों पर ताला लटक रहा है, जिससे मरीज इधर-उधर भटक रहे हैं.

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Published : Sep 17, 2021, 10:31 AM IST

प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र
प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र

लखनऊ:केंद्र सरकार ने मरीजों को सस्ती दवा मुहैया कराने का फैसला किया था. इसके लिए देशभर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (pradhanmantri janaushadhi kendra) खोले गए थे. वहीं यूपी की राजधानी में ही इस योजना को झटका लग रहा है. यहां के अस्पतालों में खोले गए केंद्र बंद पड़े हैं. ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं.

राज्य में करीब 1100 जेनरिक मेडिकल स्टोर (जन औषधि केंद्र) हैं. यह सरकारी अस्पताल व निजी क्षेत्रों में संचालित हैं. इनमें से 126 जन औषधि केंद्र सरकारी अस्पतालों में हैं. इसके संचालन लिए सरकार ने चार वेंडर तय किए हैं. इन्हें राज्य के अलग-अलग जोन में जन औषधि केंद्र संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि लखनऊ में ही मरीजों को सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है. यहां के लोहिया संयुक्त चिकित्सालय समेत अन्य अस्पतालों में जन औषधि केंद्र बंद पड़े हैं.

राजधानी में 102 जन औषधि केंद्र खोले गए. इनमें से 12 सरकारी अस्पतालों में खुले थे. सरकारी अस्पतालों में औषधि केंद्रों के संचालन के लिए सरकार ने निजी वेंडर से करार किया है. पहले दवा उपलब्धता की समस्या समेत कई शिकायतों के कारण वेंडर से करार निरस्त कर दिया गया था. वहीं जब वेंडर व सरकार के बीच का मसला सुलटा, तो ड्रग लाइसेंस निरस्त होने से सरकारी अस्पतालों की दुकानों में ताला लगा हुआ है. गत दिसंबर से शासन-वेंडर के बीच चल रही उठा-पटक में मरीज पिस रहे हैं. उन्हें सस्ती दवा नहीं मिल पा रही है. कोरोना कम होने पर बीच में स्टोर खुले, इसके बाद फिर बंद होने लगे.

केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, ठाकुरगंज संयुक्त अस्पताल, आरएलबी अस्पताल, लोकबंधु राजनारायण अस्पताल, बीआरडी अस्पताल, आरएसएम अस्पताल के जनऔषधि केंद्र खोले गए हैं. राजधानी के सरकारी व निजी केंद्रों पर हर माह 90 लाख के करीब दवा बिक्री होती थी. इन स्टोरों पर 50 से 90 फीसद तक बाजार दर से सस्ती दवा उपलब्ध होने का दावा है.

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना वर्ष 2015 में शुरू हुई थी. इस दौरान आठ सौ दवाएं व अन्य उत्पाद मुहैया कराने का दावा किया गया था. इसमें 650 दवाएं व 150 सर्जिकल उत्पादों को शामिल किया गया था. वहीं वर्ष 2020 से पेटेंट से बाहर आईं नई दवाएं भी इसमें शामिल की गईं. इसमें 1400 दवाओं व पांच सौ सर्जिकल व अन्य समानों को लिस्ट में शामिल किया गया. इन जन औषधि केंद्रों पर दवा की आपूर्ति केंद्र सरकार के उपक्रम ब्यूरो ऑफ फार्मा-पीएसयू ऑफ इंडिया बीपीपीआई द्वारा की जाती है.

सरकारी अस्पतालों में जल्द जन औषधि केंद्र के संचालन के निर्देश दिए गए हैं. बीपीपीआई की तरफ से कोई अड़चन नहीं है. वेंडर सरकारी नियमों की प्रक्रिया पूरी कर दवा का ऑर्डर करें, उन्हें तत्काल आपूर्ति की जाएगी.

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